दिल्ली यूनिवर्सिटी ने नौकरी से निकाला तो पूर्व प्रोफेसर बेचने लगी पकौड़े, मुक़दमा दर्ज़ 

  • [By: Meerut Desk || 2024-03-09 15:48 IST
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने नौकरी से निकाला तो पूर्व प्रोफेसर बेचने लगी पकौड़े, मुक़दमा दर्ज़ 

दिल्ली। विश्वगुरु बनने और बनाने वाले के लिए यह घटना एक सबक़ है एक ज़वाब है कि एक प्रोफ़ेसर को ठेला लगाकर पकौड़े बेचने को मज़बूर है। डॉ ऋतु सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग में एडहॉक प्रोफेसर रह चुकी हैं। वो करीब एक साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रहीं। पूर्व प्रोफेसर डॉ ऋतु सिंह का आरोप है दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने दलित होने की वजह से उन्हें नौकरी से निकाल दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन के खिलाफ न्याय पाने के लिए वह लंबे अरसे तक विश्वविद्यालय में धरना देती रहीं। अब अन्याय के खिलाफ न्याय पाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में पकोड़ा बेचती हैं। डॉ. रितु सिंह ने कहा कि दुर्भाग्य इस देश का है कि पीएडी करने के बाद पकौड़े तलने पड़ रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन के अध्यक्ष आशुतोष बुद्ध का कहना है कि अगर डॉ ऋतु सिंह चाहें तो काउंसलर या टीचिंग जॉब ​कर सकती हैं, लेकन उन्हें अन्याय के खिलाफ न्याय चाहिए, इसलिए वो संघर्ष कर रही हैं। 

एशियन एक्सप्रेस संवाददाता ने जब डॉ. रितु सिंह से इस बाबत पूछा तो डॉ. रितु ने कहा, "मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएसडी की और मैं उसी के दौलत राम कॉलेज में पढ़ा रही थीं, लेकिन षड्यंत्र के तहत मुझे निकाल दिया गया। हमलोग गरीब के बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि हम दलित समाज से हैं, इसलिए हमारा रोजगार छीन लिया गया। जब मैं शांतिपूर्वक धरना दी रही थीं तो मुझे हिरासत में ले लिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पकौड़े बेचो, इसलिए मैं पकौड़ा तल रही हूं। मैंने अपने स्टॉल पर PhD की डिग्री लगाई है। मैं वहीं अपना स्टॉल लगाया है, जहां से मैंने पढ़ाई लिखाई की है।

दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के अन्याय के खिलाफ न्याय पाने की मुहिम में निराशा हाथ लगने के बाद दौलत राम कॉलेज की पूर्व एडहॉक प्रोफेसर डॉ. रितु सिंह ने अब फाइन आर्ट विभाग के सामने मार्ग पर पकोड़ा बेचने का काम शुरू कर दिया है। ऐसा करने का फैसला उन्होंने दौलत राम कॉलेज में उत्पीड़न के​ खिलाफ लंबे समय तक आवाज उठाने के बाद सुनवाई न होने पर लिया। उनका ये फैसला दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की नजरों में खटने के बाद अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने उनके पकोड़ा स्टॉल को भी ध्वस्त कर दिया, लेकिन वो हिम्मत नहीं हारी और पीएचडी पकोड़ा वाली स्टॉल के नाम से मौरिस नगर में अभी पकौड़ा बेच रही हैं. 

जानकारी के अनुसार डॉ. रितु सिंह दौलतराम कॉलेज में साल 2020 में एडहॉक लेक्चरर के रूप में पढ़ाती थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें दौलत राम कॉलेज में दलित होने की वजह से उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा. इतना ही नहीं, नौकरी से भी निकाल दी गईं। इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने चुप रहने के बजाय मुखर होकर बोलना शुरू किया। दिल्ली विश्व​विद्यालय की पूर्व एडहॉक टीचर डॉ. रितु सिंह 192 दिनों तक दिल्ली आर्ट फैकल्टी के समने प्रोटेस्ट किया, लेकिन कोई सुनवाई न होने के बाद उन्होंने पकोड़ा बेचने का काम शुरू कर दिया। अब तो वह पीएचडी पकोड़ा वाली के नाम से लोकप्रिय हैं। 

पीएचडी पकोड़ा वाली ने अपने इस काम के लिए स्लोगन भी तैयार किया और उसे स्टॉल पर लगा रखा है। उनके स्टॉल का स्लोगन है, 'आइए बेरोजगारी के पकोड़े खाइए.' रेहड़ी पर लिखा उनका मैन्यू भी लोगों को आकर्षित करता है. उनके मैन्यू में जुमला पकौड़ा (best seller), स्पेशल रिक्रूटमेंट ड्राइव पकौड़ा, एससी/एसटी/ओबीसी बैकलॉग पकौड़ा, एनएफएस पकौड़ा, डिस्प्लेसमेंट पकौड़ा और बेरोजगारी स्पेशल चाय शामिल है। पकौड़े की कीमत है कि ​शिक्षित करें, संगठित करें और प्रदर्शन करें। इसके अलावा उन्होंने अपना वो फोटो भी लगाया है, जब यूनिवर्सिटी ने उन्हें पीएचडी की डिग्री से नवाजा था। 

दिल्ली विश्व​विद्यालय नॉर्थ कैंपस छात्रा मार्ग पर लगी डॉ. रितु सिंह की आकर्षक रेहड़ी को देख न सिर्फ उनके समर्थक, बल्कि वहां से निकल रहे राहगीरों का जमावड़ा लगने लगा है। दिल्ली विश्व​विद्यालय की पूर्व प्रोफेसर को रेहड़ी लगाकर पकौड़े तलते और बेचते हुए देख लोग भी हैरान और परेशान होते हैं। लोग उनका मोबाइल से विडियो, फोटो, सेल्फी भी  लेते हैं। लेकिन इस बात की जब मौरिस नगर थाने की पुलिस को भनक लगी, मौके पर एसएचओ, एसआई और थाने की पूरी टीम वहां पहुंच गई। पुलिस ने उनको मौके से रेहड़ी हटाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने नहीं हटाई। इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ सार्वजनिक स्थान का दुरुपयोग करने और गलत मंशा से रेहड़ी लगाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। 

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