जिस कंपनी के पीछे ईडी लगी, उसी ने दिया भाजपा को करोड़ो में चंदा 

  • [By: PK Verma || 2024-03-15 13:15 IST
जिस कंपनी के पीछे ईडी लगी, उसी ने दिया भाजपा को करोड़ो में चंदा 

मोदी सरकार ने Electoral Bond यानी चुनावी बॉन्ड को 2017 में पेश किया गया था। 29 जनवरी, 2018 को मोदी सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना 2018 को अधिसूचित किया था। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मोदी सरकार की ओर से 30 दिनों की अतिरिक्त अवधि तय किए जाने का प्लान था। कोई भी भारतीय नागरिक, कॉरपोरेट और अन्य संस्थाएं चुनावी बॉन्ड खरीदकर अपनी मनपसंद राजनितिक पार्टी को दान दे सकते है उसके बाद राजनीतिक पार्टियां इस बॉन्ड को बैंक से भुनाकर नगद रकम हासिल कर लेती थी। बैंक चुनावी बॉन्ड उसी सिटीजन या कंपनी को बेचते थे, जिनका केवाईसी वेरिफाइड होता था। बॉन्ड पर चंदा देने वाले के नाम का मेंशन नहीं होता था। चुनावी बॉन्ड में निवेश करने वाले को किसी भी तरह का कोई रिटर्न नहीं मिलता था। यह बॉन्ड एक रसीद के समान होता था। आप जिस पार्टी को चंदा देना चाहते हैं, उसके नाम से इस बॉन्ड को खरीदा जाता था और इसका पैसा संबंधित राजनीतिक दल को ट्रांसफर कर दिया जाता था। राजनीतिक पार्टी को सीधे चंदा देने की जगह चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा देने से, दी गई राशि पर इनकम टैक्स की धारा 80जीजीसी और 80जीजीबी के तहत यह छूट देने का प्रावधान है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने इस चुनावी बांड को ख़ारिज कर दिया। अभी 12 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के सख्त आदेश पर 200 साल पुराने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने इन चुनावी बांड्स की पूरी डिटेल सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दी जबकि इससे पूर्व बैंक बांड्स की डिटेल्स को लेकर कई महीने का वक्त मांग रहा था यानि लोकसभा चुनाव के बाद और नई सरकार बन जाने के बाद।  लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती के बाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया घुटनों पर आ गया। कांग्रेस पार्टी समेत तमाम ओपोसिशन पार्टी के नेताओं और खासतौर पर राहुल गाँधी ने इन चुनावी बांड्स को मोदी सरकार का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। 

सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया में हलफनामा दाखिल कर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने कहा था कि 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच विभिन्न मूल्यवर्ग के कुल 22,217 चुनावी बांड जारी किए गए। इनमें से 22,030 को राजनीतिक दलों ने भुनाया। दरअसल भारतीय निर्वाचन आयोग ने गुरुगुवार को चुनावी बांड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देनेवालों के नामों की सूची को सार्वजनिक कर दिया है। आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए विवरण/आंकड़ों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जिस कंपनी के खिलाफ 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन के आरोप में जांच की थी, उस कंपनी ने 1350 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदा दिया।

भारतीय निर्वाचन आयोग ने अपनी वेबसाइट पर दो फाइलों का ब्योरा दिया: निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से मिली समय सीमा से पहलेबांड के जरिए चंदा देने-लेनेवालों के नामों की जानकारी अपने वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी। आयोग ने अपनी वेबसाइट पर दो फाइलों का ब्योरा दिया है। इसमेंएक में चंदा देने वालों का नाम और रकम है, जबकि दूसरी फाइल में चंदा लेने वाले राजनीतिक दलों व रकम का ब्योरा है।

महत्वपूर्ण हस्तियों ने बांड खरीदे: सार्वजनिक किए गए विवरण के विश्लेषण से साफ होता है कि राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों स्टील टाइकून लक्ष्मी मित्तल से लेकर एयरटेल के प्रवर्तक अरबपति सुनील भारती मित्तल के अलावा वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल, आईटीसी, महिंद्रा एंडएं महिंद्रा के अलावा फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज के नाम प्रमुख रूप सेहैं। फ्यूचर गेमिंग वही कंपनी है, जिसके खिलाफ मार्च 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन के आरोपों की जांच की थी। इस कंपनी ने दो अलग-अलग कंपनियों के जरिये 1,350 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बांड खरीदे।

वेदांता लिमिटेड ने 398 करोड़ रुपयेके बांड खरीदे: इसके अलावा, वेदांता लिमिटेड ने 398 करोड़ रुपये के बांड खरीदे। जबकि, सुनील मित्तल की तीन कंपनियों ने मिलकर कुल 246 करोड़ रुपये बांड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दिया। इसके अलावा, स्टील टाइकून लक्ष्मी निवास मित्तल ने अपनी
व्यक्तिगत क्षमता में 35 करोड़ रुपये के बांड खरीदे और राजनीतिक दलों को दिया। जानकारी के अनुसार, हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग (इसे कई बड़ी बुनियादी ढांचा सेजुड़ी परियोजनाओं का ठेका मिला) ने 966 करोड़ रुपयेके बांड खरीदे।

करोड़ो रूपये दान देने वाली प्रमुख कंपनियां: ईसीआई की वेबसाइट के अनुसार, चुनावी बांड के खरीदारों में स्पाइसजेट, इंडिगो, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरएं प्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कॉमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, एडलवाइस, पीवीआर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फॉर्मा, वर्धमान टेक्सटाइल्स, जिंदल ग्रुप, फिलिप्स कार्बन ब्लैक लिमिटेड, सीएट टायर्स, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, आईटीसी, केपी एंटरप्राइजेज, सिप्ला और अल्ट्राटेक सीमेंट जैसी कंपनियां हैं।

बांड के जरिए दान पाने वाले दल: दान पाने वालों में भाजपा, कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, डीएमके, जेडी-एस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, आप, राजद, समाजवादी पार्टी, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, बीजेडी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, सिक्कि म क्रांतिकारी मोर्चा, जेएमएम, सिक्कि म डेमोक्रेटिक फ्रंट और अन्य पार्टी शामिल शामिल हैं।

निजी तौर पर दान देने वाले: निजी तौर पर चुनावी बांड के जरिए दान देने वालों में लक्ष्मी निवास मित्तल के अलावा, किरण मजूमदार शॉ, वरुण गुप्ता, बी के गोयनका, जैनेंद्र शाह और मोनिका जैसे व्यक्ति भी शामिल हैं। इसके अलावा गाजियाबाद स्थित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने 162 बांड खरीदे, जिनमेंसेज्यादातर 1 करोड़ रुपयेके थे। - बजाज ऑटो ने 18 करोड़ रुपये, बजाज फाइनेंस ने 20 करोड़ रुपये, इंडिगो की तीन कंपनियों ने 36 करोड़ रुपये, स्पाइसजेट ने 65 लाख रुपयेऔर इंडिगो के राहुल भाटिया ने 20 करोड़ रुपयेके बांड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदा दिया। मुंबई स्थित क्वि क सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड ने 410 करोड़ रुपयेऔर हल्दि या एनर्जी ने 377 करोड़ रुपयेके बांड खरीदे।

अरबों रुपए का चंदा देने वाली टॉप 50 कंपनी: जिन नामी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद कर राजनीतिक दल ख़ासकर भारतीय जनता पार्टी को बेशुमार चंदा दिया हैं उनमें वेदांता, जिंदल स्टील एंड पावर, आईएफबी, एग्रो, टॉरेंट पावर, डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज, ऑरोबिंदो फार्मा शामिल हैं। और यह बात सभी जानते है कि ज्यादातर चंदा केवल उस पार्टी को दिया है जो सरकार में होती है। और इस समय पिछले दस साल से केंद्र में मोदी सरकार है। इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को अरबों रुपए का चंदा देने वाली टॉप 50 में कौन-कौन कंपनी शामिल हैं:

क्रमांक चंदा देने वाली कंपनी                               राशि (करोड़ रुपये में)
1. फ्यूचर गेमिंग ऐंड होटल सर्विसेज                    1368 करोड़
2. मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड    966 करोड़
3. क्वि क सप्लाई चेन                                       410 करोड़
4. वेदांता ग्रुप                                                   402 करोड़
5. हल्दि या इंजीनियरिंग लिमिटेड                       377 करोड़
6. भारती एयरटेल ग्रुपग्रु                                    247 करोड़
7. एस्सेल माइनिंग                                           224 करोड़ 
8. वेस्टर्नयूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड     220 करोड़
9. जिंदल ग्रुप                                                  195.5 करोड़
10. केवेंटर फूडपार्क इन्फ्रा लिमिटेड                     195 करोड़
11. एमकेजेइंटरप्राइसेस लिमिटेड                        192.42 करोड़
12. मदनलाल लिमिटेड                                     185.5 करोड़
13. टॉरेंट ग्रुप                                                  184 करोड़
14. डीएलएफ ग्रुप                                            170 करोड़
15. यशोदा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल               162 करोड़
16. उत्कल एल्युमिला इंटरनेशनल लिमिटेड         145.3 करोड़
17. बीजी शिरके कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी               117 करोड़
18. धारीवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड                   115 करोड़
19. अवीस ट्रेडिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड           112 करोड़
20. बिरला ग्रुपग्रु                                              107 करोड़
21. चेन्नैग्रीन वुड्स प्राइवेट लिमिटेड                   105 करोड़
22. रुंगटा सन्स प्राइवेट लिमिटेड                       100 करोड़
23. आईएफबी एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड                 92.3 करोड़
24. रश्मि ग्रुपग्रु                                               90.5 करोड़
25. रेड्डी लैबोरेट्रीज लिमिटेड                             80 करोड़
26. प्रारंभ सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड             78.75 करोड़
27. नाटको फार्मालिमिटेड                                 69.25 करोड़
28. श्री सिद्धार्थइन्फ्राटेक ऐंड सर्विसेज                  61 करोड़
29. एनसीसी लिमिटेड                                      60 करोड़
30. इन्फि ना फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड               60 करोड़
31. DIVI एस लैबोरेट्रीज                                   55 करोड़
32. यूनाइटेड फॉस्फोरस इंडिया एलएलपी            55 करोड़
33. नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी                         55 करोड़
34. द रैमको सीमेंट्स                                      54 करोड़
35. मॉडर्नरोड मेकर्स                                       53 करोड़
36. ऑरोबिंदो फॉर्मा                                        52 करोड़
37. ट्रांसवेज एग्जिम प्राइवेट लिमिटेड                47.5 करोड़
38. ऋत्वि क प्रोजेक्ट्स                                   45 करोड़
39. पीसीबीएल लिमिटेड                                  45 करोड़
40. एमएस एस एन मोहंती                              45 करोड़
41. ससमल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड        44 करोड़
42. शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स                           40 करोड़
43. SEPC पावर                                           40 करोड़
44. PHL FINIVEST प्राइवेट लिमिटेड             40 करोड़
45. लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग सर्विसेड            40 करोड़
46. सिपला लिमिटेड                                      39.2 करोड़
47. SWAL कॉरपोरेशन लिमिटेड                      35 करोड़
48. SAFAL गोयल रियल्टी                            35 करोड़
49. NEXG डिवाइसेज प्राइवेट लिमिटेड            35 करोड़
50. लक्ष्मी निवास मित्तल                              35 करोड

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