थलापति विजय ने कहा तमिलनाडू में लागू नहीं होगा CAA

  • [By: PK Verma || 2024-03-13 16:51 IST

चेन्नई। 12 मार्च 2024 को मोदी सरकार ने पूरे देश में Citizenship Amendment Act (CAA) लागू कर दिया है। इस बिल को 2019 में संसद में पारित किया गया था। लेकिन इसे लागू कई साल बाद किया गया है जबकि 8-10 दिन में लोकसभा आम चुनाव की तारीखों का एलान होने वाला हैं। जहां भाजपा समर्थक लोग इस बिल के पास होने का जश्न मना रहे हैं तो वहीं कई राज्यों में इसका विरोध शुरू हो गया है। विपक्षी पार्टियां खासकर इस बिल को सिरे से नकार रही हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बिल को वेस्ट बंगाल में लागु करने से इंकार कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी इस बिल का विरोध किया है। 

एक तरफ जहाँ बॉलीवुड के लोगों ने इस बिल को लेकर ख़ामोशी की चादर ओढ़ ली है। लेकिन साउथ इंडियन फिल्म इंडसट्री के लोगों ने इसका जमकर और कड़ा विरोध किया है। तमिल सुपरस्टार कमल हासन ने CAA की तीखी आलोचना की है। कमल हासन ने 12 मार्च को काला दिन बताया। कमल हासन ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ‘भारत के लिए एक काला दिन। धर्म-आधारित नागरिकता परीक्षण गणतंत्र की धर्मनिरपेक्ष संवैधानिक नींव के विपरीत है, और मैं इसके खिलाफ कानूनी और राजनीतिक रूप से अपनी पूरी ताकत से लड़ूंगा। यानी अब कमल हासन इस बिल के खिलाफ अपनी आवाज भी उठाएंगे और उन्होंने इसके विरोध में कानूनी लड़ाई लड़ने का संकप्ल ले लिया है। 

थलापति विजय भी हैं CAA के खिलाफ: इससे पहले दूसरे तमिल स्टार थलापति विजय ने भी इस बिल के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। थलापति विजय ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक बयान में कहा, ‘ऐसे माहौल में जहां देश के सभी नागरिक सामाजिक सद्भाव के साथ रहते हैं, भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) जैसे किसी भी कानून को लागू करना स्वीकार्य नहीं है। ’ इसके साथ ही थलापति विजय ने तमिलनाडु तमिलनाडू सरकार से अपील की है कि वो इसे किसी भी कीमत पर तमिलनाडु में लागू ना करें। थलापति विजय के इस पोस्ट कमेंट्स की बाढ़ आ गई है।

राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद विजय का पहला बयान: ग़ौरतलब है कि अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद थलपति विजय की यह पहली राजनीतिक राय है। 2 फरवरी 2024 को विजय ने राजनीति में एंट्री ली थी और अपनी पार्टी का नाम तमिलागा वेट्री कड़गम घोषित किया था। 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बताया विभाजनकारी एजेंडा: ससे पहले सोमवार को, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश में लोकसभा चुनाव से पहले सीएए के नियमों को अधिसूचित करके "अपने डूबते जहाज को बचाने" की कोशिश कर रहे हैं। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में स्टैलिन ने इसे भाजपा का "विभाजनकारी एजेंडा" करार दिया। 

क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम: इस बिल को जानने के लिए इन कुछ बिंदुओं को समझना होगा। 

1. सीएए का मतलब नागरिकता संशोधन अधिनियम है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी।

2. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की अधिसूचना जारी कर दी है। सीएए नियमों का उद्देश्य गैर-मुस्लिम प्रवासियों जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।

3. भारतीय नागरिकता केवल उन्हें मिलेगी जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण लिए हुए थे।इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे।

4. नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019, दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति से सीएए कानून को मंजूरी मिल गई थी। हालांकि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद देश के विभिन्न राज्यों में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया गया।

5. सीएए के नियम पहले से ही तैयार कर लिए गए थे और इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन रखी गई है। आवेदन के लिए आवेदक को किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रहेगी। आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए।

6. पिछले दो वर्षों के दौरान नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने की क्षमता प्रदान की गई।

7. गृह मंत्रालय की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 के बीच पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के 1414 व्यक्तियों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत पंजीकरण या प्राकृतिककरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।

8. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 से भारतीय नागरिकों का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए कानून भारतीय नागरिकता को नहीं छीन सकता।

9. गृह मंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को इसे लोकसभा में पेश किया था। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 (सीएए) संसद में 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया था। सीएए के पक्ष में 125 वोट पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ गए थे। 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।

10. वर्ष 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (सीएए) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में बदलाव किया जाना था। जिसमें भारत के तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना था। अगस्त 2016 में इसे संयुक्त संसदीय कमेटी को भेजा गया और कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को इसकी रिपोर्ट सौंपी थी।

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