राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ चला दलित की ओर

  • [By: PK Verma || 2024-10-24 15:21 IST
राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ चला दलित की ओर

नागपुर: राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ हिंदू समाज के बीच सद्भाव के लिए बड़ी पहल करने की तैयारी में है। अब तक समरसता मंच जैसे कार्यक्रमों के जरिए हिंदू समाज की सभी जातियों तक पहुंच बनाने के प्रयास को राष्ट्रिय स्वयंसेवक और तेज करने वाला है। इसका क्या तरीका होगा और कैसे समाज में समावेशी माहौल बनाया जाए, इसके लिए दो दिनों का मंथन मथुरा में होना है। संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के अनुसार अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक मथुरा में 25 और 26 अक्टूबर को होने वाली है। 

इस मंथन बैठक में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति, राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर आयोजन, ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए नियम की मांग समेत कई मसलों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के 393 से अधिक नेता मौजूद रहेंगे। इनमें प्रांत प्रचारक, प्रांत संघचालक और प्रांत कार्यवाह तक शामिल रहेंगे। 

राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के सूत्रों के अनुसार इस बैठक का एजेंडा तो सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयादशमी के अपने भाषण से ही सेट कर दिया था। अब बस उस पर विस्तार से मंथन होना है कि कैसे किस काम को अंजाम दिया जाए।

सुनील आंबेकर ने बैठक का एजेंडा बताते हुए कहा, 'बैठक में इस बात की चर्चा की जाएगी कि कैसे समाज को एक साथ रखा जाए। उन्हें गलत सूचनाओं के जाल में फंसने से रोका जाए। उन्होंने इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर आ रही सामग्री से बच्चों पर पड़ने वाले बुरे असर पर भी बात की और उसके नियमन की जरूरत बताई है। उस पर भी चर्चा की जाएगी। खासतौर पर चर्चा इस बात पर होगी कि समाज में सौहार्द कैसे बनाया जाए। हम इस पर मंथन करेंगे कि अब तक क्या किया है और भविष्य में क्या कर सकते हैं।'

उन्होंने आगे कहा कि हम मंथन करेंगे कि कैसे समाज में स्वामी दयानंद सरस्वती, बिरसा मुंडा, अहिल्याबाई होलकर और रानी दुर्गावती का संदेश पहुंचाया जाए। अपने संबोधन में डॉ मोहन भागवत ने इन सभी हस्तियों का जिक्र किया था। दलितों तक राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ को पहुंचाने को लेकर मंथन होगा। यह मंथन खास है क्योंकि अगले महीने ही महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने हैं।

ग़ौरतलब है कि इस साल दशहरे से राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ अपने 100वें साल में प्रवेश कर चुका है। पूरे देश में शताब्दी वर्ष पर कैसे और कौन से आयोजन किए जाएं। इस पर भी संघ की इस अहम बैठक में मंथन होने वाला है। किसी भी सामाजिक संगठन के इतने मजबूत रहने और 100 साल पूरे होने को संघ एक उपलब्धि के तौर पर देख रहा है। संघ का कहना हैकि भविष्य में कुछ बदलाव भी देखने को मिलेंगे, जिनकी रूपरेखा तय की जाएगी।

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