सौ फ़ीसदी VVPAT पर्चियों की गिनती को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को दिया नोटिस

  • [By: PK Verma || 2024-04-02 17:42 IST

नई दिल्ली। सिर्फ़ भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर बाकी तमाम राजनीतिक दलों के लिए आज राहत का दिन है। विपक्षी दलों की सबसे बड़ी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सौ फ़ीसदी सभी VVPAT पर्चियों की गिनती के लिए चुनाव आयोग और केंद्र सरकार नोटिस जारी किया है। हलाकि उक्त याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को भी चुनौती दी गई है कि VVPAT वेरिफिकेशन एक के बाद एक सीक्वेंस के हिसाब से किया जाएगा, जिससे अनावश्यक देरी होगी। न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया कि न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अरुण कुमार अग्रवाल और असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से दायर याचिकाओं पर ध्यान देते हुए चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। 

दरअसल भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम चुनावों में सभी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की पूरी गिनती की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली मोदी सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में दर्ज कराई गई आपत्तियां: उपरोक्त याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को भी चुनौती दी गई है कि VVPAT वेरिफिकेशन एक के बाद एक सीक्वेंस के हिसाब से किया जाएगा, जिससे अनावश्यक देरी होगी। याचिका में यह भी कहा गया है, "यदि एक साथ सत्यापन किया जाता है और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अधिक अधिकारियों को तैनात किया जाता है, तो पूरा वीवीपैट सत्यापन 5-6 घंटों में किया जा सकता है।"

दरअसल केंद्र की मोदी सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। लेकिन वर्तमान में केवल लगभग 20,000 वीवीपैट की पर्चियां ही सत्यापित होती हैं। इस अंतर को देखते हुए ही वीवीपैट और ईवीएम के संबंध में विशेषज्ञों की तरफ से कई सवाल उठाए जा रहे हैं और यह कहा जा रहा है कि इससे पहले ईवीएम और वीवीपैट वोटों की गिनती के बीच बड़ी संख्या में कमियां सामने आई हैं, यह जरूरी है कि सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाए। 

वीवीपैट वोटों की गिनती से सम्बंधित मामले में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस दिए जाने की ख़बर पर कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान को महत्वपूर्ण कदम बताते हुए एवं स्वागत करते हुए कहा कि इस मामले पर लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले फैसला किया जाना चाहिए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट के मुद्दे पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। यह लगातार दोहराया जा रहा है कि चुनाव आयोग ने I.N.D.IA ब्लॉक के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया है।  पार्टी के नेता ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए 100 प्रतिशत वीवीपैट की मांग कर रहे हैं।"

ग़ौरतलब है कि वीवीपैट वोटों की गिनती से सम्बंधित अपनी मांगों को लेकर इंडिया गठबंधन के बड़े नेताओं ने कई बार चुनाव आयोग से मुलाक़ात के लिए वक़्त माँगा जोकि कभी नहीं दिया गया। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेज कर उसे उसके स्थान और कर्तव्य का बौद्ध करा दिया। ग़ौरतलब है इलेक्टोरल बांड्स मामले में भी चुनाव आयोग की एक नहीं चली। 

क्या है वीवीपैट: वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं। साथ ही इससे वोटर को यह भी पता चलता है उसने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है क्या पर्ची उसी उम्मीदवार की है या नहीं। भारत में पहली बार 2014 के लोकसभा चुनावों में पेश किया गया था। आसान शब्दों में कहें तो वीवीपीएटी ईवीएम से जुड़ी एक बैलेट-रहित प्रणाली है जो एक मतदाता की ओर से ईवीएम पर उम्मीदवार के नाम और पार्टी के प्रतीक के सामने अपना वोट डालने पर एक पेपर स्लिप प्रिंट करती है। जैसे ही मतदाता ईवीएम पर बटन दबाता है, वीवीपैट मशीन उस पर्ची को प्रिंट कर देती है जिसमें उस पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न होता है, जिसे उन्होंने वोट दिया है। 

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