तमिलनाडु मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का बड़ा फैसला, तमिलनाडु को स्वायत्त करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश

  • [By: National Desk || 2025-04-15 15:15 IST
तमिलनाडु मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का बड़ा फैसला, तमिलनाडु को स्वायत्त करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश

नई दिल्ली। तमिलनाडू राज्य के राज्यपाल से तनातनी के बीच तमिलनाडु विधानसभा में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य को स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव पेश कर दिया है। एमके स्टालिन ने कहा कि देश की आजादी को 75 साल पूरे हो गए हैं। हमारे देश में अलग अलग भाषा, जाति और संस्कृति के लोग रहते हैं. हम सब मिल जुलकर रहते हैं। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश की राजनीति और प्रशासन की प्रणाली को इस तरह बनाया कि सभी की रक्षा की जा सके। 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि राज्य के अधिकारों की रक्षा और केंद्र-राज्य के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। इस समिति में पूर्व अफसर अशोक शेट्टी और एम.यू. नागराजन जैसे लोग शामिल होंगे। यह समिति जनवरी 2026 तक एक अंतरिम रिपोर्ट देगी और दो साल के भीतर अपनी पूरी रिपोर्ट और सिफारिशें सरकार को सौंपेगी। 

मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा कि एक-एक करके राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं। राज्य के लोग अपने मौलिक अधिकारों के लिए केंद्र सरकार से संघर्ष कर रहे हैं। हम अपनी भाषा से जुड़े अधिकारों की भी मुश्किल से रक्षा कर पा रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि राज्य तभी सही मायने में तरक्की कर सकते हैं, जब उनके पास सभी ज़रूरी अधिकार और शक्तियां हों। स्टालिन ने कहा कि राज्यों को अधिक स्वायत्ता (अधिकार) देने की सिफारिश करने के लिए एक विशेष समिति बनाई जा रही है, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ करेंगे। इस समिति में पूर्व IAS अधिकारी अशोक वरदान शेट्टी और नागराजन भी सदस्य होंगे। 

ग़ौरतलब है कि बीते दिनों तमिलनाडु सरकार ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीत से छूट पाने के लिए जो बिल केंद्र को भेजा था। लेकिन उसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया। राज्य की डीएमके सरकार चाहती थी कि मेडिकल कॉलेजों में दाखिले 12वीं के अंकों के आधार पर हों। लेकिन केंद्र ने कहा कि ऐसा करना राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के खिलाफ है। इससे राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा। इस विधेयक को खारिज किए जाने पर मुख्यमंत्री ने नाराज़गी जताई. उन्होंने कहा कि यह फैसला तमिलनाडु का अपमान है और इसे संघवाद के लिए एक काला दौर बताया। मुख्यमंत्री ने कहा, "भले ही केंद्र सरकार ने हमारे प्रस्ताव को ठुकरा दिया हो, लेकिन हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे और कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेंगे। 

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