मैं पयंबर तो नहीं, हूं तो पयंबर जैसा

  • [By: Meerut Desk || 2024-07-12 14:25 IST
मैं पयंबर तो नहीं, हूं तो पयंबर जैसा

मैं पयंबर तो नहीं, हूं तो पयंबर जैसा। 
कोई घर भी नहीं वीरान, मेरे घर जैसा। 

अहल ए दिल, दिल की नज़ाकत से हैं वाकिफ वरना 
काम लब्जों से भी ले सकते हैं खंजर जैसा। 

मेरी उसत का भी अंदाजा बहुत मुश्किल है 
एक कतरा ही सही, हूं तो समुंदर जैसा।

मैंने असाद को पत्थर का बना रखा है। 
एक दिल है कि जो बनता नहीं पत्थर जैसा। 

हम फ़क़ीरों को कभी रास न आया वरना। 
हमने पाया था मुक़दर तो सिकंदर जैसा।

-साक़ी अमरोहवी

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