कर लूंगा जमा दौलत ओ जऱ ...उसके बाद क्या

  • [By: Meerut Desk || 2024-05-16 15:36 IST
कर लूंगा जमा दौलत ओ जऱ ...उसके बाद क्या

कर लूंगा जमा दौलत ओ जऱ 
ले लूंगा शानदार घर, उसके बाद क्या। 

मय की तलब जो होगी तो बन जाऊँगा मैं रिन्द
कर लूंगा मयकदों का सफ़र उस के बाद क्या। 

होगा जो शौक़ हुस्न से राज़-ओ-नियाज़ का
कर  लूंगा  गेसुओं में सहर उस के बाद क्या।

शे'र-ओ-सुख़न की खूब सजाऊंगा महफ़िलें 
दुनियां में होगा नाम मगर उसके बाद क्या। 

मौज़ आयेगी तो सारे जहां की करूंगा सैर,
वापिस वहीँ पुराना नगर, उसके बाद क्या। 

इक रोज़ मौत जीस्त का दर खटखटायेगी 
बुझ जायेगा चराग़-ए-क़मर, उसके बाद क्या। 

उठी थी ख़ाक ख़ाक से मिल जायेगी वहीं 
फिर उसके बाद किसको ख़बर, उसके बाद क्या।

-ओम प्रकाश भंडारी "क़मर" जलालाबादी 

ज़र = धन-दौलत, रुपया-पैसा, रिन्द = शराबी, राज़-ओ-नियाज़ = राज़ की बातें, परिचय, मुलाक़ात, गेसुओं =ज़ुल्फ़ें, बाल, सहर = सुबह, शे'र-ओ-सुख़न = काव्य, ज़ीस्त = जीवन, चराग़-ए-क़मर = जीवन का चराग़

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