ऐ जिंदगी, तुझे पाने की कशमकश में (कविता)

  • [By: PK Verma || 2022-07-04 16:43 IST
ऐ जिंदगी, तुझे पाने की कशमकश में (कविता)
ऐ जिंदगी,
तुझे पाने की कशमकश में, बस जिये जा रहा हूँ मैं।
खाली इस पैमाने को बस पिये जा रहा हूँ मैं,
पल दो पल का साथ हैं, मालूम हैं मुझे,
फिर भी न जाने क्यों, बस जिये जा रहा हूँ मैं।।
 
कपकपाती, खरखराती, घुंटी हुई सांसों में से,
बस कुछ सांसें लिए जा रहा हूँ मैं।
तेरी कही-अनकही बातों को,
बस खुद ही सुने जा रहा हूँ मैं।।
 
बस कुछ पल का साथ था, कुछ तेरी मुहोब्बत का अहसास था,
तेरी गली, तेरी दुनिया, सब तेरे लिए छोड़े जा रहा हूँ मैं।
कुछ तेरे साथ बिताए हसीं पलों का कारवां,
बस वहीँ यादें साथ लिए जा रहा हूँ मैं।।
 
सूखे, चमकते, महकते मुहोब्बत के लम्हों को छोड़ तेरे पास,
अपने गीले ख्वाबों को निचोड़ कर साथ अपने लिए जा रहा हूँ मैं।।
पूरी जवानी तेरे आगोश में खोकर
बुढ़ापे का कंबल ओढ़कर बस निकले ही जा रहा हूँ मैं।।
 
ये घर, वो दौलत ये कंगन, वो गाड़ी, तू रख अपने पास,
अपनी ग़ुरबत को में लाठी का सहारा बना चला जा रहा हूँ मैं।
मेरे कुछ सिसकते ख्वाब तेरे तकिये के नीचे दबे हैं,
चंद अधूरे वहम समेटकर, तेरी दुनिया से जा रहा हूँ मैं।।
 
- डॉ. पी. के. वर्मा 
 
(16 मार्च 2019 को प्रकाशित)

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