अचानक एक चमक की तरह तुम मेरे सामने चमक जाती हो (कविता)

  • [By: PK Verma || 2022-07-05 17:22 IST
अचानक एक चमक की तरह तुम मेरे सामने चमक जाती हो (कविता)

अचानक

अचानक एक चमक की तरह

तुम मेरे सामने चमक जाती हो।

कभी अचानक

चांद की तरह तुम मेरे सामने दमक जाती हो।

कभी एक चिड़िया की तरह

तुम मेरे आंगन में चहक जाती हो।

और कभी कभी एक ठंडे हवा के झौंके की तरह

तुम आ सामने मेरे मस्त सी होकर बहती जाती हो।

क्योंकि एक तुम ही हो

मेरी प्रेरणा

मेरी चेतना

मेरी वेदना

मेरी संवेदना

जिसके बारे में मैं सोचता रहता हु

एक पागल कवि की तरह

एक आवारा बादल की तरह।

-डॉ पी के वर्मा

(01/011/2012)

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