शकील अहमद और उसके विज़नकेयर आई हॉस्पिटल की राष्ट्रिय चिकित्सा आयोग और मुख्यमंत्री योगी से शिकायत

  • [By: Meerut Desk || 2024-08-01 16:43 IST
शकील अहमद और उसके विज़नकेयर आई हॉस्पिटल की राष्ट्रिय चिकित्सा आयोग और मुख्यमंत्री योगी से शिकायत

मेरठ। आपको याद होगा कि कुछ महीनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने लाला रामदेव और बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि के कई विज्ञापनों को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी। लाला रामदेव और बालकृष्ण दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में हाथ जोड़कर बिना शर्त माफ़ी मांगी थी। लेकिन दोनों की माफ़ी का कोई फ़र्क नहीं पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने लाला रामदेव और बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि के कई प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया था। और बाकायदा बड़े समाचार-पत्रों में विज्ञापन छपवा कर माफ़ी मांगी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित प्रोडक्ट्स की सेल बंद करने की घोषणा की थी। 

लेकिन इससे कुछ मनीमाइंडेड लोगों ने सबक नहीं लिया। मेरठ में लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित शकील अहमद के आँखों के अस्पताल की भी यही कहानी है। शकील अहमद ने अपने आई हॉस्पिटल विज़नकेयर सुपरस्पेशलिटी आई हॉस्पिटल के झूठे और भ्रमित करने वाले तमाम तरह के विज्ञापन बड़े बड़े अख़बारों में प्रकाशित कराये जिससे आम आदमी भ्रमित होकर एक शॉपिंग मॉल की तरह दिखने वाले आई हॉस्पिटल में खींचे चले आये। शकील अहमद और उसके आँखों के अस्पताल विज़नकेयर सुपरस्पेशलिटी आई हॉस्पिटल की नेशनल मेडिकल कॉउन्सिल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की गई है।

लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के सामने एक आँखों का अस्पताल है VISIONCARE सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल। इस अस्पताल का अख़बारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर झूठा दावा किया गया है कि 'चश्मे को कहें अलविदा, सदा के लिए'। दूसरी और अस्पताल में ही एक ब्रांडेड चश्मे की दुकान खोल रखी है। यानि प्रकशित विज्ञापन में कुछ और अस्पताल में कुछ और। सोशल एक्टिविस्ट और आरटीआई एक्टिविस्ट आदेश त्यागी ने अस्पताल और इसके सचालकों पर कड़ी कार्यवाही के लिए राष्ट्रिय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) में शिकायत की है। 

अस्पताल का संचालन: VIOSAR हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड 1 मई 2024 को पंजीकृत हुई थी। इस कंपनी के निदेशक शकील अहमद और नगमा इमरोज़ है। दोनों संयुक्त रूप से VISIONCARE सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल का संचालन करते हैं। 
यह भी पढ़ें: विज़नकेयर आई हॉस्पिटल के बेसमेंट में अस्पताल और सरकारी जमीन पर कब्जाकर बाइक-कार पार्किंग संचालित

अख़बारों में रोबोट का चित्र एवं एडवांस्ड टेकनोलॉजी के दावे छापकर आम आदमी को करते है आकर्षित: शकील अहमद अपने अस्पताल के विज्ञापन में Most Advanced Customized Lasik Laser तकनीक को मेरठ में प्रस्तुत करने का दावा करते हैं। इसके अलावा विज्ञापन में AI Robotic Blade Free Femto Lasik Eye Surgery करने का दावा किया गया है। दावे के अनुसार इस अस्पताल में I-LASIK तकनीक से लेटेस्ट एन्ड सेफेस्ट टेक्नोलॉजी से इलाज किया जाता है। विज्ञापन में किये गए दावों से प्रतीत होता है कि पूरे मेरठ में सबसे आधुनिक तकनीक सिर्फ़ इसी अस्पताल में है अन्य कहीं नहीं। यह विज्ञापन पूरी तरह से भ्रमित करने वाला है। ऐसे दावों से भरपूर समाचार पत्रों में बड़े बड़े विज्ञापन दिए गए है जिससे आम व्यक्ति भ्रमित होकर इस अस्पताल की और खींचा चला आता है। 

अस्पताल बना लाला की दुकान: मरीजों को दी जाने वाली दवा सिर्फ़ इसी अस्पताल में मिलेगी। अस्पताल में ही दवा की दुकान खोली गई है। दवा अस्पताल के बाहर नहीं मिलेगी। 

अस्पताल का दोगलापन: इतना ही नहीं अस्पताल में ही आँखों के लिए महंगे दरों पर चश्मों की भी दुकान लगी हुई है। अस्प्ताल का दोगलापन तो यह है कि एक और तो आम आदमी को भ्रमित कर अपनी और आकर्षित करने के लिए तमाम बड़े समाचार-पत्रों में बड़े-बड़े दावे करते हुए विज्ञापन प्रकाशित कराय जाते है कि चश्मे को कहे अलविदा, सदा के लिए। दूसरी और अस्पताल में प्रवेश करते ही दाई और चश्मों की दुकान सजी मिल जाएगी। यानि झूठ सिर्फ झूठ से भरी पब्लिसिटी। 

एक मजेदार बात और, शकील अहमद खुद नज़र का चश्मा पहनता है। और अख़बारों में झूठे विज्ञापन प्रकाशित कराता है कि 'चश्मे को कहे अलविदा, सदा के लिए'। यानि जो व्यक्ति खुद की आँखों का इलाज नहीं कर पाया, खुद चश्मा पहनता है। वह दूसरों से मोटी फ़ीस लेकर उनका नजर का चश्मा उतारने का दावा करता है। 

डॉक्टर या अस्पताल के प्रलोभन भरे विज्ञापनों पर राष्ट्रिय चिकित्सा आयोग के सख़्त: राष्ट्रिय चिकित्सा आयोग की Regulations Relating to Professional Conduct of Registered Medical Practitioners 2023 नियमावली के अनुसार कोई भी डॉक्टर अपने कौशल, योग्यता और भ्रमित दावों वाले विज्ञापनों को प्रसारित/प्रकाशित नहीं करा सकता। ऐसा करना असंवैधानिक है। राष्ट्रिय चिकित्सा आयोग के सख़्त निर्देश है कि "कोई भी चिकित्सक स्वयं (या अपने नाम) का उपयोग किसी भी प्रकार के विज्ञापन या प्रचार के विषय के रूप में अकेले या अन्य माध्यमों के साथ नहीं करेगा, जो इस प्रकार का हो कि उसकी ओर या उसकी व्यावसायिक स्थिति, कौशल, योग्यता, उपलब्धियों आदि की ओर ध्यान आकर्षित हो।"

लेकिन राष्ट्रिय चिकित्सा आयोग की सख़्ती के बावजूद विज़नकेयर सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल आम आदमी को अपनी तरफ़ खींचने के लिए तमाम भ्रमित करने वाले विज्ञापन प्रकाशित कराता है। 

बेसमेंट में अस्पताल का संचालन और सड़क पर कब्ज़ा कर बनाई पार्किंग: इस हॉस्पिटल के बेसमेंट में अस्पताल का संचालन हो रहा है जबकि बेसमेंट पार्किंग के लिए होता है। पार्किंग की व्यवस्था के लिए संचालक शकील अहमद ने अपने आँखों के अस्पताल के बाहर सरकारी जमीन पर कब्ज़ा कर उसपर टाइल्स लगवाकर वहां बाइक-कार की अवैध पार्किंग संचालित कर रखी है। शकील अहमद और उसके विज़नकेयर आई हॉस्पिटल के बाबत जब हमारे संवाददाता ने मेरठ विकास प्राधिकरण के प्रवर्तन दल प्रभारी अर्पित यादव से पूछा तो उन्होंने बताया:ने कहा:

"किसी भी भवन के बेसमेंट में कोचिंग क्लास, ओपीडी, अस्पताल आदि संचालित करना असंवैधानिक है। शासन के निर्देश पर प्रतिदिन ऐसे संस्थानों पर सीलिंग की कार्यवाही की जा रही। अवैध कब्ज़े एवं अतिक्रमण पर भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी। 

भूमि की भी जांच होगी: आवास विकास परिषद् के निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता एसपी सिंह ने हमारे संवाददाता को बताया कि अस्पताल के बेसमेंट में चल रही ओपीडी/अस्पताल की जाँच के साथ-साथ यह भी जांच की जाएगी कि जिस भूमि पर अस्पताल का निर्माण हुआ है वह आवासीय भूखंड है या कॉमर्सिअल। 

राष्ट्रिय चिकित्सा आयोग में VISIONCARE सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल की शिकायत करने वाले समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट आदेश त्यागी का कहना है:

"जहां अस्पताल सेवा के लिए होने चाहिए वहीँ आज अस्पताल शॉपिंग मॉल की तरह हो गए है। ऐसे अस्पतालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही की जानी चाहिए और इनके लाइसेंस कैंसिल होने चाहिए।"

इस बाबत एशियन एक्सप्रेस संवाददाता ने अस्पताल संचालक शकील अहमद से जानकारी लेने के लिए फोन किया, लेकिन फ़ोन रिसीव नहीं हुआ। 

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