निष्प्रयोज्य वाहनों की मरम्मत, डीजल-पेट्रोल पर करोड़ों का भुगतान 

  • [By: PK Verma || 2024-09-27 16:46 IST
निष्प्रयोज्य वाहनों की मरम्मत, डीजल-पेट्रोल पर करोड़ों का भुगतान 

शासनादेश डस्टिन-बीन में डाल कच्चे बिल पर करोड़ों का भुगतान, निष्प्रयोज्य वाहनों की मरम्मत, डीजल-पेट्रोल पर करोड़ों का भुगतान।

मेरठ। नगर निगम के वाहन डिपो में करोड़ों के घोटाले की परत दर परत खुलने लगी हैं। शासनादेश के अनुसार एक लाख रुपए से अधिक के बिल पर टेंडर अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त सामान की खरीद जैम पोर्टल से खरीदने के निर्देश है। लेकिन नगर निगम के कर्मचारी और अधिकारी मोटी कमीशनखोरी के लालच में सरकारी खजाने में लूट मचा दी। मुख्य नगर लेखा परीक्षक की गोपनीय जांच में खुलासा हुआ कि करोड़ों के भुगतान में न तो कोई टेंडर हुआ और न जैम पोर्टल से सामान खरीदा गया। तमाम नियमों को दरकिनार कर सालों से कच्चे बिलों पर करोड़ों रुपयों का भुगतान होता रहा है। घोटाले के तार कहां तक जुड़े हैं, इसका पता लगाने के लिए पिछले साल (2022-23) का भी रिकॉर्ड खंगालना शुरू हो गया है। इतना ही नहीं निगम में कितने वाहन निष्प्रयोज्य अर्थात जिन वाहनों की अवधि समाप्त हो चुकी है। उनकी भी मरम्मत, डीजल-पेट्रोल का करोड़ों रूपये का भुगतान भी लगातार होना बताया जा रहा है। वरिष्ठ सोशल एक्टिविस्ट प्रमोद दौलतराम ने कहा:

जहां एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे है। वही नगर निगम के कुछ कर्मचारी और अधिकारी सरकारी खजाने को लूटने-खसोटने में लगे है। अभी तक कोई नगरायुक्त इस भ्रष्टाचार को रोक नहीं पाया। यह आज भी बदस्तूर जारी है। निगम में हुए कई सौ करोड़ रुपए के इस महाघोटाले की शिकायत सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की जाएगी। 

निगम के वाहन डिपो: नगर निगम के सूरजकुंड, कंकरखेड़ा और दिल्ली रोड वाहन डिपो में 256 वाहन है। इसमें प्रत्येक वर्ष 700 लाख वाहन मरम्मत और 2500 लाख पेट्रोल-डीजल का बजट नगर निगम में निर्धारित है। वाहन डिपो के वाहनों की मरम्मत करने का टेंडर और जैम पोर्टल से सामान खरीदने के निर्देश शासन के हैं। इसके बावजूद नगर निगम में नियमों को दरकिनार करके वाहन डिपो में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये का बंदरबांट किया जाता है। वाहन की कीमत पांच लाख और मरम्मत में 20 लाख खर्च होने का खुलासा अमर उजाला ने 25 अक्तूबर के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया। 

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घोटाला बहुत बड़ा: यह घोटाला निगम की बोर्ड बैठक में पार्षदों द्वारा उठाई मांग पर मुख्य नगर लेखा परीक्षक की गोपनीय जांच में हुआ है। जांच अभी जारी है। एशियन एक्सप्रेस को निगम के ही कुछ कर्मचारियों से जानकारी मिली कि डिपो के वाहनों की मरम्मत में कच्चे बिलों पर निगम भुगतान करता रहा है। जिसकी मुख्य नगर लेखा परीक्षक ने पड़ताल शुरू कर दी। घोटाला बहुत बड़ा है। इसको देखते हुए मुख्य नगर लेखा परीक्षक ने पिछले साल का भी रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया। ग़ौरतलब है कि दिल्ली रोड वाहन डिपो में 2023-24 में घोटाले की जांच पूरी हो चुकी। अब 2022-23 का भी दिल्ली रोड़, सूरजकुंड और कंकरखेड़ा वाहन डिपो प्रभारियों से रिकॉर्ड जांच अधिकारी ने मांगा है। कितने वाहन निष्प्रयोज्य हो गए हैं, इसकी भी पड़ताल करेंगे।

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कच्चे बिलों का बड़ा खेल: वाहन डिपो में वाहनों की मरम्मत का ठेका कुछ ख़ास ठेकेदारों पर है। डिपो के कर्मचारी व अधिकारी मिलकर ठेकेदारों के कच्चे बिल बनवाकर भुगतान होता है। वाहन डिपो के बिल पर किस-किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं और कौन मॉनीटरिंग करते हैं। इसकी गंभीरता से पड़ताल होगी तो चौंकाने वाला खुलासा होगा। तीन-चार सालों से वाहन डिपो में ऑडिट नहीं किया गया। ठेकेदारों की भी कुंडली खंगालने का काम चल रहा है। इसे लेकर वाहन डिपो में बुधवार दिनभर हलचल रही।

भाजपा पार्षदों ने नगर आयुक्त को दिया पत्र: वाहन डिपो में घोटाले का खुलासा होने पर नगर निगम में खलबली मच गई। भाजपा पार्षद संजय सैनी व पवन चौधरी ने नगर आयुक्त को पत्र लिखा। इसमें मुख्य नगर लेखा परीक्षक के प्री-ऑडिट पर सवाल उठाया है। पार्षदों का आरोप कि मुख्य नगर लेखा परीक्षक द्वारा प्री-ऑडिट के नाम पर अतिरिक्त धन लिया जा रहा है। जिसके चलते नेताओं और निगम की छवि धूमिल की जा रही है। 

मुख्य नगर लेखा परीक्षक ने कहा: मुख्य नगर लेखा परीक्षक अमित भार्गव का कहना कि लेखा नियमावली में प्री-ऑडिट करने का प्रावधान है। नगर आयुक्त के निर्देश पर वाहन डिपो का प्री-ऑडिट किया गया है। अभी कुछ बिंदु शेष बचे हैं। जांच रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपेंगे। पार्षदों के आरोप निराधार हैं। लिखित में पत्र आएगा तो उसका जवाब दिया जाएगा।

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