मेरठ में चिकन मीट कंपनी की फ़र्जी रसीद पर बकरे/भैंस के मांस के दर्जनों लाइसेंस जारी, विभाग ख़ामोश

  • [By: PK Verma || 2024-05-25 18:15 IST
मेरठ में चिकन मीट कंपनी की फ़र्जी रसीद पर बकरे/भैंस के मांस के दर्जनों लाइसेंस जारी, विभाग ख़ामोश

मेरठ। मोटे कमीशन के लिए फ़ूड सेफ़्टी इंस्पेक्टरों ने फ़र्जी चिकन कंपनी की रसीद पर बकरे/भैंस के मांस के दर्जनों पंजीकरण/लाइसेंस जारी कर दिए। यह गोरखधंधा कई सालों से बद्दस्तूर जारी है। खाद्य सुरक्षा विभाग जिस चिकन कंपनी की फ़र्जी रसीदों पर बिना जाँच-पड़ताल के थोक के भाव बकरे/भैंस के मांस के दर्जनों पंजीकरण/लाइसेंस जारी किये है वह दिल्ली की एक बड़ी एक्सपोर्ट कंपनी है जिसका सालाना टर्न ओवर करोड़ों रूपये में है। जबकि जो रसीदे बकरे/भैंस के मांस बेचने के लिए पंजीकरण/लाइसेंस हेतू ऑनलाइन अपलोड किये गए है उस रसीद को लोकल में ही फ़र्जी तरीके से छपवाया गया है। उस रसीद में न तो जीएसटी नंबर है और न ही उसमे कोई वेबसाइट या ईमेल या कांटेक्ट नंबर दिया गया है। रसीद में केवल दिल्ली की रजिस्टर्ड एक्सपोर्ट कंपनी का पता दिया हुआ है। उक्त एक्सपोर्ट कंपनी की वेबसाइट पर जाकर देखा गया तो सारा गोरखधंधा समझ में आया। 

वेबसाइट के अनुसार, रोज़ फूड्स नामक चिकेन एक्सपोर्ट कंपनी शहीद अशफाकउल्ला खान मछली बाजार, गाज़ीपुर, नई दिल्ली पते पर पंजीकृत है। इसी चिकेन एक्सपोर्ट कंपनी की फ़र्जी रसीदें छपवाकर कई मीट विक्रेता खाद्य विभाग से मिलीभगत से पंजीकरण/लाइसेंस प्राप्त करने के लिए फर्जीवाड़ा कर रहे है। 

फ़र्जी चिकन कंपनी की रसीद पर बकरे/भैंस के मांस के दर्जनों लाइसेंस जारी: मोटी रिश्वत के लालच में फ़ूड सेफ्टी इंस्पेक्टरों ने पंजीकरण/लाइसेंस के लिए किये गए आवेदनों के प्रिंट निकलवा कर फ़ाइल बनाते समय यह भी नहीं देखा की आवेदन के साथ लगी मीट सप्लाई कंपनी की रसीद पर साफ़ लिखा है कि कंपनी सिर्फ़ मुर्गा के मीट का व्यापार करती है बकरे या भैंस के मांस का नहीं। यानि चिकन मांस एक्सपोर्ट कंपनी की रसीद पर बकरे और भैंस के मांस बेचने का पंजीकरण/लाइसेंस जारी कर दिया। इस पूरे प्रकरण में पूरा खाद्य विभाग ख़ामोशी की चादर ओढ़कर बैठा है। सहायक आयुक्त (खाद्य) मेरठ दीपक कुमार न तो अपने कार्यालय में ही मिलते है और न ही मीडिया का फ़ोन उठाते है। 

उक्त प्रकरण में जब एशियन एक्सप्रेस संवाददाता ने चीएफ़ फ़ूड सेफ्टी इंस्पेक्टर शिव शंकर मिश्रा से जानकारी लेने के लिए संपर्क किया तो उन्होंने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि सबकुछ ऑनलाइन होता है। कोई गड़बड़ नहीं है। जबकि बकरे/भैंस के मांस बेचने का पंजीकरण उनके स्तर से ही होता है और लाइसेंस का अनुमोदन डीडीओ/सहायक आयुक्त (खाद्य) के स्तर से जारी किया जाता है। 

सामाजिक कार्यकर्ता आदेश त्यागी ने इस प्रकरण में संलिप्त खाद्य विभाग की शिकायत मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश से करने की बात कही है। 

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