विवि सहायक अभियंता की नियम विरुद्ध नियुक्ति की उच्च स्तरीय जाँच 

  • [By: Meerut Desk || 2024-02-02 15:23 IST
विवि सहायक अभियंता की नियम विरुद्ध नियुक्ति की उच्च स्तरीय जाँच 

मेरठ। समाजसेवी आदेश त्यागी ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में सहायक अभियंता सिविल की नियम विरुद्ध नियुक्ति की जाँच की मांग की है। उन्होंने कहा कि विवि के सहायक अभियंता के पद पर मनीष मिश्रा की नियुक्ति की गई है जिसमे तमाम नियमों की अनदेखी की गई। नियुक्ति से सम्बंधित तमाम नियम एवं अहर्ताओं को दरकिनार किया गया। आदेश त्यागी ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में हुई सहायक अभियंता सिविल की नियम विरुद्ध नियुक्ति के बारे में कई अहम् बिंदुओं पर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है:


 1.   18 जनवरी 2021 को विश्वविद्यालय परिसर स्थित इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में सहायक अभियंता सिविल के पद पर मनीष मिश्रा की नियुक्ति की गई। मनीष मिश्रा द्वारा पॉलिटेक्निक कॉलेज से 3 वर्षीय रेलवे इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया गया है जबकि उत्तर प्रदेश शासनदेश के अनुसार सहायक अभियंता की सीधी भर्ती के लिए 4 वर्षीय बीटेक की डिग्री अनिवार्यता है इस बिंदु की उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है।

2. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के लिए सहायक अभियंता सिविल की भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या NNTP/01/2017 निकल गया जिसमें आवेदक की आयु 21 से 35 वर्ष मांगी थी लेकिन इस आयु अवधि में मनीष मिश्रा फिट नहीं बैठ रहा था तो चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन ने सहायक अभियंता सिविल की भर्ती के लिए दूसरा संशोधित विज्ञापन संख्या NNTP/01/2019-2020 निकाला जिसमें आयु सीमा को 21 से 40 वर्ष कर दिया गया यह भी उच्च स्तरीय जांच का विषय है।

3. 21 दिसंबर 2020 को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के जनसूचना विभाग द्वारा जारी जानकारी के अनुसार मनीष मिश्रा विश्वविद्यालय परिसर में अवर अभियंता सिविल के पद पर 25 फरवरी 2008 से कार्य कर रहा है जिसके अनुसार मनीष मिश्रा का कार्य अनुभव (1 अक्टूबर 2020 तक) 12 साल 7 महीने और 6 दिन बैठता है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने आवेदनों की स्क्रूटनी लिस्ट में मनीष मिश्रा का कार्य अनुभव 15 वर्ष दिखाया है।

4. इसी बीच मनीष मिश्रा ने 2 अगस्त 2012 से 21 मई 2014 तक चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से अवकाश लेकर हरि सिंह गौड़ विश्वविद्यालय सागर, मध्य प्रदेश में 1 वर्ष 9 महीने और 19 दिन कार्य किया लेकिन मध्य प्रदेश में बिताई इस अवधि को भी चौधरी चरण सिंह विद्यालय परिसर में किए गए कार्य अनुभव में जोड़ा गया अर्थात मनीष मिश्रा ने चौधरी चरण सिंह विद्यालय परिसर में अवर अभिनेता के पद पर काम करते हुए केवल 10 वर्ष 9 महीने और 17 दिन कार्य किया लेकिन चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनीष मिश्रा को ही सहायक अभियंता पद पर बिठाने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उसे उसे 15 वर्ष का अनुभव दिखा दिया यह उच्च स्तरीय जांच का विषय है।

5. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा स्थापित आइक्यूएसी कमेटी का कार्य केवल शिक्षकों की नियुक्ति करना है लेकिन इसी कमेटी की सिफारिश पर विश्वविद्यालय में सहायक अभियंता सिविल का विज्ञापन निकाला गया और उपरोक्त भर्ती की गई जोकि पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। गौरतलब है कि मनीष मिश्रा को ही विश्वविद्यालय में सहायक अभियंता सिविल के पद पर नियुक्त करने के लिए तीन-तीन बार संशोधित विज्ञापन जारी किए गए जबकि उपरोक्त पद के लिए मनीष मिश्रा से अधिक अनुभवी और डिग्री होल्डर आवेदकों ने आवेदन किया था।

6. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा सहायक अभियंता सिविल के पद के लिए नियमोंनुसार इंजीनियरिंग की डिग्री के अतिरिक्त 6 महीने का कंप्यूटर कोर्स डिप्लोमा भी अनिवार्य किया गया था। जिसके लिए मनीष मिश्रा द्वारा दो माह की अवधि वाला एक कूटरचित कंप्यूटर डिप्लोमा का सर्टिफिकेट लगाया गया जो देखते ही फर्जी महसूस होता है यह भी उच्च स्तरीय जांच का विषय है।

TAGS

#

SEARCH

RELATED TOPICS