भ्रष्टाचार में लिप्त आईएएस विमल शर्मा और आईएएस निधि केसरवानी ने सरकार को पहुंचाया 25 करोड़ का नुकसान, कड़ी कार्यवाई होगी

  • [By: Meerut Desk || 2022-07-06 12:33 IST
भ्रष्टाचार में लिप्त आईएएस विमल शर्मा और आईएएस निधि केसरवानी ने सरकार को पहुंचाया 25 करोड़ का नुकसान, कड़ी कार्यवाई होगी
मेरठ/लखनऊ। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण घोटाले में कई बड़े अधिकारी फंस गए है। योगी सरकार इन भ्रष्ट अधिकारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाई कर सकती है। दरअसल दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले रिश्तेदारों को जमीन खरीदवाकर 8 से 10 गुना मुआवजा राशि दिलाकर तत्कालीन डीएम निधि केसरवानी और विमल कुमार शर्मा ने सरकार को करीब 25 करोड़ का नुकसान पहुंचाया था। दोनों ने आर्बिटेशन कोर्ट में सारे नियमों को दरकिनार कर मुआवजा राशि तय कर दी थी। धारा तीन डी की कार्रवाई होने के बाद जमीन खरीदी या बेची नहीं जा सकती, लेकिन इस मामले में इस धारा के बाद भी जमीनें खरीदी गईं। शिकायत पर तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने जांच की तो खुलासा हुआ। उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही अब प्रदेश सरकार ने कार्रवाई की है। मंडलायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन एडीएम (भू-अर्जन) घनश्याम सिंह और अमीन संतोष को निलंबित कर दिया गया था। एडीएम ने अपने बेटे शिवांग राठौर को और अमीन संतोष कुमार ने पत्नी लोकेश बेनिवाल, मामा रणवीर सिंह, पुत्र दीपक तथा पुत्रवधू दिव्या के नाम पर 9 खसरा नंबरों की जमीन खरीदी थी। यह घोटाला चार गांवों डासना, नाहल, कुशलिया और रसूलपुर सिकरोड की जमीन अधिग्रहण में किया गया था। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए वर्ष 2011-12 में 71.14 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई की गई थी। 2013 में यहां अवार्ड (मुआवजा राशि) घोषित किया गया था। 2016 में क्षेत्र के 23 किसानों ने मंडलायुक्त से शिकायत की थी कि उन्हें मुआवजा नहीं मिला है।
 
तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने जांच कराई तो भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। यहां तत्कालीन एडीएम भू-अर्जन घनश्याम सिंह के बेटे शिवांग राठौर के नाम पर भी शासन की बिना अनुमति के जमीन खरीदी गई थी। प्रभात कुमार ने दोनों पूर्व डीएम का नाम अपनी रिपोर्ट में शामिल कर उन पर न केवल कार्रवाई की संस्तुति की थी, बल्कि इस घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश भी की थी।
 
रिपोर्ट में गाज़ियाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी विमल शर्मा और निधि केसरवानी को जांच में दोषी पाया था। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि भूमि अधिग्रहण के लिए धारा-3 (डी) लागू होने के बाद भी किसानों से जमीन खरीदकर बैनामे कराए गए, जबकि जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लग गई थी। जांच में आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता) के 9 ऐसे मामलों को पकड़ा गया है जो विमल शर्मा व निधि केसरवानी की कोर्ट में तय हुए और करीब 8 से 10 गुना से अधिक का मुआवजा दिया गया।
 
मेरठ मंडल के तत्कालीन मंडलायुक्त प्रभात कुमार की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का मामला पूरी तरह पर्दाफाश हो गया था। कई महीने तक चली इस जांच में पाया गया था कि तत्कालीन एडीएम घनश्याम सिंह के बेटे शिवांग राठौर ने गांव नाहल, कुशलिया के साथ-साथ हापुड़ के गांव पटना मुरादनगर में सात खसरा नंबरों की जमीन सितंबर 2013 को 1582.19 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से खरीदी ली थी। इस जमीन के लिए सरकार की ओर से 1235.18 रुपये के हिसाब से मुआवजा अवार्ड हो चुका था। सात अगस्त 2012 को ही यहां अधिग्रहण की अधिसूचना जारी हो चुकी थी। करीब 1.78 करोड़ रुपये में खरीदी गई और आर्बिट्रेशन के बाद इसका मूल्य 9,36 77,449 हो गया था। इस हिसाब से शिवांग राठौर को 7.58 करोड़ से ज्यादा का लाभ हुआ। कुशलिया में अवार्ड मुआवजा दर महज 617.59 रुपये प्रति वर्गमीटर थी। 
 
तत्कालीन डीएम विमल शर्मा ने आर्बिट्रेशन में इसका मुआवजा 6500 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर 10 गुना से भी ज्यादा फायदा पहुंचाया। रनवीर सिंह की जमीन के मामले में 1235.18 की दर को आर्बिट्रेशन में बढ़ाकर 5577 रुपये किया गया। गांव नाहल के मामलों में तत्कालीन डीएम निधि केसरवानी ने 1235 रुपये की दर को आर्बिट्रेशन में बढ़ाकर 6515 एवं 5577 रुपये किया। 
 
भूमि अधिग्रहण के मामले में कल्लू गढ़ी के किसान लियाकत ने शिकायत की थी। उनकी शिकायतों को कई बार दरकिनार कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। शिकायतकर्ता लियाकत का कहना है कि उन पर कई बार हमले भी कराए गए, लेकिन वह पीछे नहीं हटे और फिर मंडलायुक्त से शिकायत की। मंडलायुक्त ने मामले में जांच शुरू कराई तो घोटाले की परतें खुलती चली गईं। इस मामले में 2017 में कविनगर थाने में पूर्व में एफआईआर भी दर्ज हो चुकी हैं। इसमें एडीएम घनश्याम सिंह का भी नाम शामिल था। इस प्रकरण में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए गए हैं। अपर मुख्य सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि संबंधित पत्रावली पर कार्रवाई करने में देरी करने के लिए नियुक्ति विभाग के कौन कार्मिक जिम्मेदार हैं, इसकी रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। एक-दो दिन में उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाएगी। 2016 में गाजियाबाद के डीएम रहे विमल शर्मा की भी इस अनियमितता में संलिप्तता पाई गई। उन्हें रिटायर हुए चार साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है। अब  उन पर आपराधिक मुकदमा चलाने का निर्णय लिया गया है। 
 
मध्यस्थता के नाम पर बढ़ाई गई मुआवजे की रकम 
क्रेता  आर्बिट्रेटर    तिथि  घोषित मुआवजा बढ़ा मुआवजा
शिवांग राठौर     विमल शर्मा   15 जनवरी 2016   617.59     6500
रनवीर सिंह  विमल शर्मा  4 जुलाई   2016  1235.18  5577
लोकेश बेनिवाल विमल शर्मा  4 जुलाई   2016  1235.18  5577
दिव्या सिंह निधि केसरवानी  6 फरवरी 2017   1235.18  6515
दीपक सिंह   निधि केसरवानी  6 फरवरी 2017   1482.00 6515
इदरीस, ताज निधि केसरवानी  6 फरवरी 2017   1235.18 6500
शाहिद, शमीम  निधि केसरवानी  6 फरवरी 2017   1235.18 6500
यूसुफ, इमरान निधि केसरवानी  6 फरवरी 2017   1235.18 6500

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