आधिकारियों की मिलीभगत से चौ. चरणसिंह विवि में एमआरपी से कई गुना अधिक दरों पर हो रहा लाखों का भुगतान

  • [By: Meerut Desk || 2022-07-27 10:07 IST
आधिकारियों की मिलीभगत से चौ. चरणसिंह विवि में एमआरपी से कई गुना अधिक दरों पर हो रहा लाखों का भुगतान

मेरठ। जहां एक और प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है, लेकिन लगता है चौ. चरणसिंह विवि में यह नीति फ़ैल हो गई है। जमकर लूट की जा रही है। ग़ौरतलब है कि हाल में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग में फ़ैले भ्रष्टाचार पर कड़ा कदम उठाते हुए कई बड़े अधिकारियों को निलंबित किया है और बिजली विभाग कई अधिशासी अभियंताओं को बर्ख़ास्त किया है। 

 चौ. चरणसिंह विवि में लंबे समय से साज़िश रचकर 25-30 फ़ीसदी भारी-भरकम कमीशन लेकर बाजार के अधिकतम दरों और एमआरपी से भी कई गुणा अधिक दरों पर भुगतान किया जा रहा है। लेखाधिकारी और वित्त अधिकारी की मिली-भगत से विवि के ख़जाने को भारी नुकसान पहुँचाया जा रहा है। 

साज़िश के तहत बिल 25 हज़ार रूपये से 50-100 रूपये कम का बनाया जाता है ताकि बिल को कुलपति तक जाने से रोका जा सके। क्योंकि 25 हज़ार तक के बिल पास करने की अथॉरिटी कुलसचिव और वित्त अधिकारी के पास होती है। 25 हज़ार से अधिक का बिल अनुमोदन के लिए कुलपति के पास भेजा जाता है। इस प्रकार भ्रष्ट अधिकारी/कर्मचारी लाखों रूपये के बिल को एक साथ नहीं लेकर 24,950/- या इसके आसपास की राशि में टुकड़ों में बिल बनवाकर पास करा देते है। लेखा विभाग का एक कंप्यूटर ऑपरेटर जेम पोर्टल पर खरीदारी का आदेश अपलोड करने के 25-30 फीसदी कमीशन ले रहा है और लाखों के बिलों का भुगतान 24,950/- या इसके आसपास की राशि में टुकड़ों में बिल बनवाकर पास करा रहा है। एक ही वस्तु के 3-4 बिल बनवा रहा है और रिश्वत में लाखों बटोर रहा है। लेखाधिकारी और वित्त अधिकारी अपना हिस्सा लेकर ख़ामोशी से बिल पास कर रहे है। दोनों ही अधिकारियों के पास इस तरह की शिकायतें पहुँच रही है, लेकिन दोनों अधिकारी करते कुछ नहीं है। 

अभी हाल में ही केदार ट्रेडर्स नामक सप्प्लायर को  4 आदेश पत्र जारी किये गए है जिसमे भ्रष्टाचार साफ़-साफ़ झलकता है। बाजार में 135.7 एमएम की कैंची 35 रूपये की है और थोक दरों में उसकी कीमत 25 रूपये से भी कम है लेकिन  जैम पोर्टल से लेखा विभाग के कंप्यूटर ऑपरेटर ने 135 रूपये में अपलोड की है। इसका 180 कैंचियों का एक बिल 24,300 रुपए का बनाया गया है। इसके अतिरिक्त 110 एमएम की लोकल कैंची 80 रूपये की दर से 300 कैंचियों का बिल 24,000 रूपये का है। ये कैंची बाजार में 10-15 रूपये में उपलब्ध है। लोकल प्लास्टिक स्क्रबिंग पैड के 2000 नग 11.90 की दर से बिल बनाया गया है। जबकि बाजार में इस उत्पाद की कीमत मात्र 5 रूपये है। इसका बिल 23,800 रूपये का बनाया गया है।  145 क्लिप भी 170 रूपये की दर से खरीदी जा रही है जबकि बाजार में इसकी कीमत 4 गुना कम है। इसका भी बिल 24,650 का बनाया गया है। इन सभी में 18 फीसदी जीएसटी भी शामिल है। 

हमारे संवाददाता के पास ऐसे खरीददारी के ऐसे कई आदेश-पत्र पहुंचे है जो भ्रष्ट अधिकारियों के कारनामो का चिट्ठा खोल रहे है।

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