मेरठ विकास प्राधिकरण सोता रहा, उधर सील तोड़कर बन गया अमोनिया रेस्टोरेंट

  • [By: Meerut Desk || 2024-11-04 15:30 IST
मेरठ विकास प्राधिकरण सोता रहा, उधर सील तोड़कर बन गया अमोनिया रेस्टोरेंट

मेरठ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बावजूद अवैध निर्माण का कार्य तीव्र गति से जारी है। जनपद में दर्जनों अवैध निर्माण चल रहे है। लेकिन विकास प्राधिकरण गहरी नींद में सोया पड़ा है। शिकायत मिलने पर कार्यवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। राज्य सरकार को करोड़ों रूपये के राजस्व की हानि पहुंचाई जा रही है। लेकिन अधिकारीयों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। 

दरअसल दिल्ली-देहरादून हाइवे पर गांव जटोली कट के नजदीक लगभग डेढ़ साल से लोहे की टीनशेड द्वारा अवैध रूप से रेस्टोरेंट का निर्माण कार्य चल रहा है। इस अवैध निर्माण का नाम अमोनिया रेस्टोरेंट रख दिया गया है। इस अवैध डेढ़ साल से चल रहे रेस्टोरेंट के निर्माण कार्य के दौरान लोगों की शिकायत पर मेडा (मेरठ विकास प्राधिकरण) ने सील लगाई थी। लेकिन अवैध निर्माण करने वालों ने भवन पर लगी सील तोड़ने के बाद रेस्टोरेंट के अंदर दोबारा से रातों-रात कार्य शुरू कर दिया गया था। उसके बाद क्षेत्र के लोगों ने फिर से मेडा के उच्चाधिकारियों से निर्माण होने कार्य होने की शिकायत की थी। फिर दोबारा से मेडा (मेरठ विकास प्राधिकरण) की प्रवर्तन टीम ने मौके पर पहुंचकर निर्माणाधीन रेस्टोरेंट पर सील लगा दी थी। लेकिन दो-चार दिनों तक तो काम रुका रहा। इसके बाद रात में रेस्टोरेंट के अंदर धीरे-धीरे कार्य शुरू कर दिया गया। जिसके बाद मेरठ विकास प्राधिकरण की प्रवर्तन टीम ने खानापूर्ति करते हुए निर्माणाधीन रेस्टोरेंट पर जेसीबी चलवाकर पिलरों को तोड़ गिराया था।  लेकिन कुछ दिन बाद रेस्टोरेंट का निर्माण कर रहे लोगों ने लगी सील को भी से दोबारा तोड़ दिया और रेस्टोरेंट में कार्य प्रगति पर है। अब रातों-रात अवैध रेस्टोरेंट बनकर लगभग पूर्ण रूप से तैयार कर दिया। 

स्थानीय निवासियों का कहना है कि रेस्टोरेंट को बनवाने में क्षेत्र के विकास प्राधिकरण के अवर अभियंता पवन शर्मा और मेट की मिलीभगत है। मोटे पैसे का लेनदेन हुआ है। यह भी कहा जा रहा है कि जिस व्यक्ति का यह अवैध रेस्टोरेंट बनकर तैयार हुआ है। उसकी कंकरखेड़ा सरधना फ्लाईओवर डिफेंस एन्क्लेव कॉलोनी के गेट के सामने बनी अवैध दुकान भी विकास प्राधिकरण ने कई बार सील लगाई थी। लेकिन उसके बाद भी तमाम दुकानें बनकर तैयार हो गई।

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