मेरठ में 100 से अधिक हॉस्पिटल अवैध रूप से संचालित

  • [By: Meerut Desk || 2024-12-06 14:35 IST
मेरठ में 100 से अधिक हॉस्पिटल अवैध रूप से संचालित

मेरठ। अभी कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल अग्निकांड में 10 नवजात मासूमों की जलकर मौत हो गई थी। लेकिन प्रश्न यह है कि इस घटना के बावजूद अधिकारी अवैध हॉस्पिटल पर कोई कार्यवाई नहीं कर रहे है। शायद बेज़मीर अधिकारियों को फिर किसी हादसे का इंतजार है। पुरे प्रदेश में कई हजार हॉस्पिटल अवैध रूप से संचालित हो रहे है। सिर्फ़ मेरठ शहर में ही करीब 100 निजी हॉस्पिटल अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। इनके पास फायर एनओसी भी नहीं है। 

आंकड़ों की माने तो साल 2018-19 में सिर्फ़ आठ व साल 2020 में महज चार पर फायर एनओसी ही जारी की गई है। सरकार के स्तर से भले ही कुछ भी दावे किए जाए अथवा अधिकारी कुछ भी कहे लेकिन सच्चाई तो यही है कि बड़ी संख्या में निजी हॉस्पिटल संचालक नियमों और मानकों का कतई पालन नहीं कर रहे है। 

हाई कोर्ट ने तलब की रिपोर्ट: पूरी ठसक और गुंडई के बल पर और राजनीतिक सपोर्ट की बिना पर शहर में 100 से अधिक निजी हॉस्पिटल अवैध रूप से संचालित हो रहे है। लेकिन अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उनके खिलाफ कृत कार्रवाई की रिपोर्ट तलब कर ली है। दरअसल, शहर के अवैध हॉस्पिटलों को लेकर दायर की गई याचिका का हाईकोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और राज्य सरकार से मेरठ में चल रहे अवैध तरीके से अस्पतालों के मामलों में कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया है। याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र के समक्ष दलील दी कि याची एक सामाजिक कार्यकर्ता है। याची ने आरटीआई द्वारा जानकारी प्राप्त की, जिसमें 350 हॉस्पिटल शहर में चल रहे हैं। जिसमें 250 हॉस्पिटल सीएमओ द्वारा रजिस्टर्ड है। जबकि शहर में 100 से अधिक अवैध तरीके से निजी हॉस्पिटल चल रहे हैं। 

दूसरी और अंकुश चौधरी द्वारा डाली गई आईटीआई के जवाब में जो जानकारी प्राप्त हुई, वह चौंकाने वाली है कि वर्ष 2018-19 में मात्र 8 हॉस्पिटल और वर्ष 2019-20 में मात्र चार हॉस्पिटल ही फायर विभाग द्वारा रजिस्टर्ड पाए गए हैं। जिसमें अग्निशमन अधिकारी द्वारा अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमियों के संबंध में उनके प्रबंधक को अवगत करा दिया गया था तथा कार्रवाई का अधिकार सत्ता प्राधिकारियों का है। याची के अधिवक्ता ने बताया कि पूर्व में न्यायालय के द्वारा जवाब तलब किया गया था। लेकिन राज्य सरकार ने मात्र कुछ हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर बिना कार्रवाई के वर्ष 2020 में जवाब दाखिल कर दिया गया था। याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में अस्पताल में आग लगने से 12 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। जिसमें एनएचआरसी ने मुख्य सचिव व डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। ग़ौरतलब है कि गत कई  वर्षों में देश में अलग-अलग जगह पर भी मानक पूरा न होने पर अस्पतालों में आग लग चुकी है।

याची अधिवक्ता की दलील सुनकर पुन: हाइकोर्ट ने कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए निर्देश जारी किया और वर्तमान स्थिति उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण व अग्नि अधिनियम एवं नियमावली 2005 के अंतर्गत पूर्व में दिए गए आदेश पर कार्रवाई रिपोर्ट तलब कर सुनवाई की अगली तारीख 22 जनवरी नियत की गई। 

इस बाबत सीएमओ अशोक कटारिया से बात करने के लिए एशियन एक्सप्रेस संवाददाता ने फ़ोन किया तो वह जवाब देने से बचते रहे। 

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