मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज लाक्षागृह और शिव मंदिर है, मस्जिद-कब्रिस्तान नहीं

  • [By: Meerut Desk || 2024-02-06 14:21 IST
मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज लाक्षागृह और शिव मंदिर है, मस्जिद-कब्रिस्तान नहीं

बागपत। जब से राम जन्म भूमि पर श्रीराम  भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है तभी से मंदिर तोड़कर मस्जिद या कब्रिस्तान बनी जमीनों की तरफ भी आवाज उठनी शुरू हो गई है। ऐसे ही एक मामले में, बागपत में बरनावा के प्राचीन टीले को लेकर 54 साल से चल रहे मामले में सोमवार को अदालत फैसला आया। जहां मुस्लिम पक्ष की तरफ से दरगाह, मस्जिद व कब्रिस्तान होने का दावा करते हुए दायर की गई याचिका को सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम ने खारिज कर दिया। न्यायालय ने वहां महाभारत कालीन लाक्षागृह और शिव मंदिर मानते हुए जमीन पर हिंदुओं को मालिकाना हक दिया है।

दरअसल बरनावा के रहने वाले मुकीम खान ने वर्ष 1970 में मेरठ की अदालत में वाद दायर किया था। जिसमें लाक्षागृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाया गया था। इसमें मुकीम खान की तरफ से दावा किया गया था कि बरनावा में प्राचीन टीले पर खसरा संख्या 3377 की 36 बीघा 6 बिस्से 8 बिस्वांसी जमीन है। जिस पर करीब 600 साल पहले हजरत शेख बदरुद्दीन ने इबादत की और वहीं दफन हो गए। जहां उनकी दरगाह, बड़ा चबूतरा बतौर मस्जिद थी। उनके दफन होने के बाद सैकड़ों वर्ष से लोगों को मरने पर यहां दफन करना शुरू कर दिया गया और यहां कब्रिस्तान में हजारों कब्र मौजूद है। वह कब्रिस्तान टीला दरगाह मकदूम शाह विलायत साहब के नाम से मशहूर है और वह इसके मुतवल्ली हैं। यह भी दावा किया गया कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में वह जमीन बतौर वक्फ दर्ज है। दावे में यह भी कहा गया था कि कृष्णदत्त महाराज बाहर के रहने वाले हैं और वह कब्रिस्तान को खत्म करके हिंदुओं का तीर्थ बनाना चाहते हैं।

अधिवक्ता रणवीर सिंह तोमर व अनिल कुमार के अनुसार, मुकीम खान और कृष्णदत्त महाराज दोनों का निधन हो चुका है। वहीं, वर्ष 1997 में बागपत जिला बनने पर यह मामला मेरठ से यहां आने पर सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम के न्यायालय में चल रहा था। जिसमें एक पक्ष से खालिद खान समेत अन्य और दूसरे पक्ष से गांधी धाम समिति के प्रबंधक राजपाल त्यागी, पैरोकार विजयपाल कश्यप वकीलों के माध्यम से कोर्ट में अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत किए। जिसमें हिंदुओं के पक्ष की तरफ से राजस्व विभाग का रिकॉर्ड देने के साथ ही कहा गया कि यह एतिहासिक टीला महाभारत कालीन लाक्षागृह है। यहां सुरंग व शिव मंदिर के अवशेष इसका प्रमाण हैं। इन तमाम साक्ष्यों के आधार पर न्यायाधीश ने 54 साल बाद मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। जिससे महाभारत कालीन लाक्षागृह और शिव मंदिर मानते हुए 36 बीघा 6 बिस्से 8 बिस्वांसी जमीन पर हिंदुओं को मालिकाना हक दिया है। अदालत के इस फैसले के बाद हिन्दू पक्ष में ख़ुशी  माहौल है। लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी। 

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