अब प्रर्वतन निदेशालय कसेगा सीसीएस यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति आरपी सिंह पर शिकंजा 

  • [By: Meerut Desk || 2024-05-31 18:39 IST
अब प्रर्वतन निदेशालय कसेगा सीसीएस यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति आरपी सिंह पर शिकंजा 

मेरठ। लगभग दो दशक से क़ानूनी शिकंजे से बच रहे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के पूर्व कुलपति प्रो. आरपी सिंह के खिलाफ अब प्रर्वतन निदेशालय ने जांच शुरू की है। ग़ौरतलब है कि भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ जाने वाला आरपी सिंह को चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के कुलपति पद से बर्खास्त किया गया था। उसके बाद आरपी सिंह जोधपुर की एक यूनिवर्सिटी और अजमेर स्थित महर्षि दयानन्द यूनिवर्सिटी में भी अपने राजनीतिक संबंधों की बिना पर आरपी सिंह कुलपति बना और वहां पर भी भ्रष्टाचार को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा और रंगे हाथ कई लाख रूपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। 

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चौ. चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ का कुलपति रहते हुए आरपी सिंह (रामपाल सिंह) ने कई बड़े बड़े घोटाले किए। जिनके ख़िलाफ़ उस समय कई लोगों ने राज्यपाल उत्तर प्रदेश से शिकायत की थी। कई बार आर पी सिंह के ख़िलाफ़ जाँच शुरू हुई और दब गई। लेकिन इस बार आरपी सिंह और उसके भ्रष्टाचारी साथियों के ख़िलाफ़ जांच प्रर्वतन निदेशालय ने शुरू कर दी है। पूर्व कुलपति आरपी सिंह, प्रो हरेंद्र सिंह बालियान और तत्कालीन फाइनेंस कंट्रोलर के ख़िलाफ़ ईडी ने जांच शुरू कर दी है। प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) के जोनल ऑफिस लखनऊ ने विश्विद्यालय के तीनो पूर्व अधिकारियों का तमाम रिकॉर्ड तलब किया है। 

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दरअसल प्रवर्तन निदेशालय के असिस्टेंट डायरेक्टर जय कुमार ठाकुर ने धन-शोधन निवारण अधिनियम 2002/प्रीवैंशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट 2002 की धारा 52 के अन्तर्गत चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ तीनो आरोपियों का समस्त रिकार्ड मांगा है। प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने तीनों पूर्व अधिकारियों के आधार कार्ड, पैन कार्ड, वेतन आदि के बैंक अकाउंट, ब्रांच का नंबर व नाम तलब किये है। तीनों आरोपियों के द्वारा जमा की गई चल-अचल संपत्ति का ब्योरा, इनके वर्तमान आवासीय पते की जानकारी देने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही तीनों के विरुद्ध समस्त जांच रिपोर्ट, चार्जशीट और उनके द्वारा दिए गए अपने कथन-पक्ष की प्रतियां भी मांगी हैं। तीनों आरोपियों के द्वारा किए गए गबन, भ्रष्टाचार और अन्य वित्तीय अनियमित्ताओं के बारे में भी पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए है। उपरोक्त तीनों लोगों को पद पर रहते हुए कितना वेतन इनको दिया जाता था। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ  कुलसचिव को इसी तरह की तमाम जानकारी देने के लिए कहा गया है।

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2 मार्च 2003 को प्रो. आरपी सिंह चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ का कुलपति बना था। परिसर में वैसे तो तमाम कुलपतियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, लेकिन प्रो. आरपी सिंह के कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया था। कुलपति के भ्रष्टाचार की ये तमाम शिकायतें राजभवन से लेकर राष्ट्रपति तक पहुंची तो जांच शुरू हुई थी। उच्च स्तरीय जांच में प्रो. आरपी सिंह द्वारा करोड़ों रुपये की घूस लेकर डेढ़ सौ से ज्यादा बीएड एवं दूसरे सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को गलत तरह से मान्यता देने की बात सामने आई। आरपी सिंह के कार्यकाल में परिसर स्थित कई भवनों के निर्माण के ठेकों में भारी भ्रष्टाचार हुआ था। परिसर में शिक्षकों की नियुक्तियों में जमकर अनियमितताएं हुईं थी और नियमों को तक पर रखकर नियुक्तियां की गई थी। मेडिकल में एडमिशन के लिए आयोजित सीपीएमटी की प्रवेश परीक्षा में अपने चहेते शिक्षक प्रो. हरेंद्र सिंह बालियान को एडवांस में एक करोड़ 40 लाख रुपये का पेमेंट करा दिया गया।

सूचना का अधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट डॉ. संदीप पहल की उस समय की गई शिकायतों पर राजभवन ने आरपी सिंह को दोषी माना था। 27 जून 2005 को उनकी शिकायत पर जांच कराकर आरोप सिद्ध हो जाने पर आरपी सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्तगी के खिलाफ आरपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की लेकिन कोर्ट ने सबूत और गंभीर आरोपों के चलते उसकी याचिका को खारिज कर दिया। आरपी सिंह के खिलाफ इन तमाम मामलों में विजिलेंस की तरफ से मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई। लेकिन राजनीति संरक्षण के चलते आज तक कुछ नहीं हुआ। जब जब जांच शुरू हुई, राजनीति दवाब में दबा दी गई। अब जबकि ईडी द्वारा पुनः जांच शुरू की गई तो इस पर शिकायतकर्ता  डॉ. संदीप पहल ने कहा:

"हमेशा रिश्वत से दबती रहीं फाइलें। तीनों व इनके सहयोगी गबनकर्ता को जेल भेजने व ब्याज सहित गबन धन की वसूली की लड़ाई गत दो दशक से भी अधिक समय से जारी है और जारी रहेगी। देखते हैं कब तक ये रिश्वत देकर बचते रहेंगे।"

अजमेर की यूनिवर्सिटी में लाखों रूपये रिश्वत लेते रंगे-हाथ गिरफ़्तार हुआ था आरपी सिंह: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति के पद से बर्खास्तगी के कई साल बाद आरपी सिंह को जोधपुर में एक यूनिवर्सिटी में कुलपति नियुक्त बनाया गया। इसके बाद आरपी सिंह को अजमेर स्थित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया। सितंबर 2020 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने कुलपति प्रो. आरपी सिंह और उनके निजी गार्ड रणजीत सिंह को दो लाख 20 हजार की रिश्वत के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया। एसीबी जयपुर और अजमेर की टीमों ने नागौर के एक प्राइवेट कॉलेज में सीटें बढ़ाए जाने के मामले में ली गई घूस के मामले में कार्रवाई की। मतलब आरपी सिंह जिस भी विश्वविद्यालय में कुलपति बनकर गया। उसने वहां पर भ्रष्टाचार के नए नए कीर्तिमान स्थापित किये। 

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Disclaimer: भ्रष्टाचारी, बलात्कारी और देशद्रोही व्यक्ति के लिए हम सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग नहीं करते है। 

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