स्मारक समिति के 10 करोड़ रुपये के गबन प्रकरण में पुलिस ने 7 को किया गिरफ्तार

  • [By: Meerut Desk || 2022-07-05 17:18 IST
स्मारक समिति के 10 करोड़ रुपये के गबन प्रकरण में पुलिस ने 7 को किया गिरफ्तार
लखनऊ। स्मारक समिति का 10 करोड़ रुपए गबन मामले में गोमतीनगर पुलिस ने सोमवार को 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस जांच में सामने आया कि 10 करोड़ रुपये का गबन करने के लिए कई आरोपितों ने कई तरह के षड्यंत्र रचे। इस षड्यंत्र के अनुसार फर्जी दस्तावेज लगाये गए और मैसेज  आरोपितों के मोबाइल फ़ोन पर ही आये। बैंक खाते में रूपये हड़पने की नियत से दूसरे मोबाइल नम्बर की एंट्री कराई गई। मोबाइल नम्बर फीड करने में ही गलती होने पर सारे आरोपी शक के दायरे में आ गये। पुलिस इस मामले में नामजद बैंक प्रबन्धक नागेन्द्र पाल की भूमिका की भी गहनता से जांच कर रही है। नागेन्द्र पाल को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था। ग़ौरतलब हैं कि स्मारक समिति के 10 करोड़ रूपये के गबन प्रकरण में कई और लोग फंस सकते हैं। स्मारक समिति के 10 करोड़ रूपये के गबन प्रकरण में लखनऊ विकास प्राधिकरण सचिव पवन कुमार गंगवार ने बैंक प्रबन्धक नागेन्द्र पाल और उनके सहयोगियों के खिलाफ गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में तब स्मारक समिति के प्रबन्धक देवेन्द्र मणि को निलम्बित कर दिया गया था। स्मारक समिति की ओर से बैंक ऑफ बड़ोदा की रोशनाबाद शाखा में 48 करोड़ रुपये की एफडी कराने के लिये 31 मार्च, 2021 को रुपये स्थानान्तरित किये गये थे। पर, 28 मई, 2021 तक केवल 37 करोड़ 99 लाख 99 हजार 981 रुपये की एफडी की गई। शेष 10 करोड़ 19 रुपये की बैंक ने कोई रसीद नहीं दी। लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों ने जब पड़ताल की तो पता चला कि शेष रकम कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के बचत खाते में भेजी गई है। जबकि नियमानुसार यह रकम किसी व्यक्ति के खाते में नहीं जा सकती थी। एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में स्मारक समिति के लेखाधिकारी गोमतीनगर, विशालखंड निवासी संजय सिंह, हैदराबाद निवासी संदीप पुथनमाडम, मैसूर निवासी दीपक यादवा, गुड़म्बा निवासी शैलेन्द्र सिंह उर्फ शैलू, बलिया निवासी रविकांत पाण्डेय उर्फ मुकेश, देवरिया निवासी आकाश कार्तिकेय और गोण्डा निवासी कृष्ण मोहन श्रीवास्तव उर्फ निक्कू को सोमवार को गिरफ्तार किया गया है। गोमतीनगर इंस्पेक्टर केके तिवारी ने बताया कि इस मामले में कुछ और लोग रडार पर है जिनकी तलाश की जा रही है।
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एसीपी श्वेता श्रीवास्तव ने बताया:
बैंक प्रबन्धक नागेन्द्र पाल को भी हिरासत में लिया गया था। उनके बयान लिये गये हैं। उन्होंने अब तक खुद को निर्दोष बताते हुये कई साक्ष्य दिये हैं। इनके बारे में पता लगाया जा रहा है। बैंक प्रबन्धक को अभी क्लीन चिट नहीं दी गई है। वह एफआईआर में नामजद है। उनसे पूछताछ की जा रही है।
 
ऐसे हुआ करोड़ो ग़बन करने को खेल: पुलिस के मुताबिक स्मारक समिति के लेखाधिकारी संजय सिंह नेलखनऊ विकास प्राधिकरण के बिचौलिये शैलेन्द्र को बताया था कि कर्मचारियों की रकम को बैंक में निवेश करना है। इस पर शैलेन्द्र ने अपने साथी संदीप पी, मुकेश पाण्डेय उर्फ रविकान्त को इस बारे में बताया। फिर संदीप पी अपने साथी मुकेश व दीपक यादवा के साथ बैंक आफ बडौदा रोशनाबाद शाखा के प्रबन्धक नागेन्द्र पाल से मुलाकात करने गये थे। संदीप पी ने दीपक यादवा, शैलेन्द्र सिंह, संजय सिंह, मुकेश पाण्डेय, आकाश कार्तिकेय, कृष्णमोहन श्रीवास्तव उर्फ निक्कू श्रीवास्तव के साथ मिलकर साजिश रचकर स्मारक समिति का 48 करोड़ रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा में बचत खाता खोलकर जमा करा दिया गया। यहां खाता खोलने में फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया। इस खाते का संचालन करने का अधिकार कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के नाम से तैयार हुआ। इसमें भी फर्जी दस्तावेज लगाये गये। इसके बाद ही खेल हुआ और बैंक मैनेजर से कहकर स्मारक समिति की करोड़ों रुपये की रकम आरटीजीएस के जरिये पे-राइट सर्विसेज प्रा. लि. कम्पनी के खाते में जमा किया गया। फिर एक-एक दिन के अंतर पर दो-दो करोड़ रुपये भेजकर एफडी बनवायी जाती रही। इन एफडी के बाण्ड बैंक मैनेजर से संदीप पी, शैलेन्द्र लेकर संजय सिंह को देते थे। इस तरह से 19 एफडी 38 करोड़ रुपये की संजय सिंह ने सह अभियुक्तों को दी। फिर स्मारक समिति का करीब 10 करोड़ रुपये पे-राइट सर्विसेज प्रा. लि. कम्पनी के खाते में ही रोक लिया गया। इसके बाद कम्पनी के डायरेक्टर सतीश पाण्डेय, मंगलेश सिंह ने संदीप पी के जरिये पैसा निवेश कराकर हड़प लिया। 
 
 

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