इबादतों और रहमतों का मुकद्दस माह-ए-रमजान शुरू

  • [By: PK Verma || 2024-03-12 12:36 IST
इबादतों और रहमतों का मुकद्दस माह-ए-रमजान शुरू

बरकतों और अल्लाह की रहमतों का मुकद्दस महीना रमजान शुरू हो गया है। अल्लाह से नजदीकी बनाने, गुनाहों को माफ कराने के लिए इस महीने लोग ज्यादा से ज्यादा इबादतों में मशगूल रहते हैं। जाने अनजाने में हुए गुनाह की माफ़ी मांगते है तौबा करते है। माह-ए-रमजान के मुबारक मौके पर उलेमा मुस्लिमों से बुराइयों से बचने, नेकी और इंसानियत पर चलने, अल्लाह से लौ लगाने की हिदायत करते हैं। दरअसल ईमान वालों पर रोजे फर्ज किए गए हैं। रमजान के महीने में लोग खास इबादत करते हैं। गुनाहों से तौबा मांगते हैं। यह वो पाक महीना है, जिसमें कुरान नाजिल हुआ।

क्या आप जानते है माह-ए-रमजान में तीन अशरे होते हैं। पहले 10 दिन रहमत, दूसरे 10 मगफिरत और आखिरी 10 दिन जहन्नुम से आजादी के लिए खास इबादतें की जाती हैं। रोजा हमें भूखे-प्यासे और आर्थिक रूप से कमजोरों के प्रति हमदर्दी का जज्बा जगाता है। इस महीने की जाने वाली इबादतों से बंदा अल्लाह के नजदीक पहुंचता है। रमजान माह में रोजे मोमिनों पर फर्ज हैं और तरावीह पढ़ना सुन्नत है। रमजान के महीने में की जाने वाली इबादतों से खुश होकर अल्लाह अपने बंदों पर बरकतों और रहमतों की बौछार करता है। तरावीह पूरे महीने पढ़ने से ही मुकम्मल सवाब मिलता है।

मुसलमानों के लिए रमजान वह मुकद्दस महीना है, जिसमें इंसान ग्यारह महीनों में किए गए गुनाहों को इबादत के जरिए माफ करा सकता है। रमजान के तीनों अशरों और तरावीह की खास अहमियत है।

ख़ैर इधर रमजान का चांद नजर आया उधर मस्जिदों में इबादत करने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा। सोमवार को इशा की नमाज के साथ मस्जिदों और कुछ विशेष स्थानों पर तरावीह का सिलसिला शुरू हो गया। उधर, रोजा सहरी और इफ्तार के लिए जरूरी खाद्य पदार्थों की स्टाल सज चुकी हैं।

रोजे की दुआ: बिसौमि गदिन नवैयतु मिन शहरि रमजान

रोजा इफ्तार की दुआ: अल्लाहुम्म इन्नी लका सुम्तु वबिका आमन्तु व अलैयका तवक्कलतु व अला रिज्किका अफ्तरतु

.

.

.

मुसलमानों के खिलाफ़ इतनी नफ़रत क्यों

https://www.youtube.com/watch?v=ycJTOs6s-4w

TAGS

# #Ramadan

SEARCH

RELATED TOPICS