आने वाला वक़्त तो राहुल गाँधी का है

  • [By: PK Verma || 2024-04-06 16:33 IST

अबकी बार किसकी सरकार कार्यक्रम में आपका स्वागत है। PodCast with PK Verma का यह पहला एपिसोड है। और आज के हमारे एपिसोड में हम बात करेंगे जननायक राहुल गाँधी की। 

आने वाला वक़्त तो राहुल गाँधी का है।

एक के बाद एक राहुल गाँधी को छोड़कर भाजपा में जा रहे है। राहुल गाँधी के कई दोस्त और साथी या यू कहें कि स्वार्थी और मतलब परस्त अपने लालच के लिए एक अच्छे और भले इंसान का साथ छोड़कर चले गए। लेकिन राहुल गाँधी पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता। आज भी उनके चेहरे पर एक मासूम और विश्वासभरी स्माइल ही रहती है। अपने दो क़दमों से पूरे देश को नाप देने वाले राहुल गाँधी के बारे में सत्तासीन लोग कुछ भी कहे। राहुल गाँधी सभी को मुस्कुराकर ज़वाब दिया। राहुल गाँधी को पप्पू बनाने में सत्तासीन पार्टी ने सैकड़ों करोड़ रूपये फूंक दिए लेकिन वे राहुल गाँधी को पप्पू नहीं बना सके बल्कि वर्ल्ड कप मैच के नतीजे वाले दिन राहुल गाँधी ने उन्हें पनौती सिद्ध कर दिया। 

जितने भी लोगों को राहुल गाँधी ने सीने से लगाया, दोस्त बनाया, इज़्ज़त सम्मान दिया, पद दिया। मुस्कुराते हुए कंधे पर हाथ रखकर देशभर को एहसास कराया कि वो उनका ख़ास है, उनमें से अधिकतर लोगों ने राहुल गाँधी का साथ छोड़ दिया। सच्चाई ये है कि जिन लोगों को राहुल ने करीब रखकर इज़्ज़त दी अगर ये राहुल के करीबी ना होते तो इन्हें दूसरी जगह फूटी कौड़ी के भाव भी ना पूछा जाता। कभी आपने ये सोचा कि जितने लोग राहुल का साथ छोड़कर गए उन्हें राहुल ने कभी दो शब्द बुरा भला नहीं कहा। यही व्यक्तित्व राहुल गांधी को बड़ा बनाता है। 

दर्जनों शीर्ष कांग्रेस नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया, जिसे कांग्रेस ने कई बार सांसद बनाया, मंत्री बनाया। कांग्रेस का थोड़ा सा वक्त ख़राब होते ही तुरंत सारे अहसान भूलकर सत्ता का सुख भोगने के लिए राहुल गाँधी को छोड़कर चला गया। हेमंत बिस्मा सरमा जिसे कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया। घोटाले में फंसा तो तुरंत सत्तासीन दल की गोद में जा बैठा। और आज सबसे अधिक आलोचना, गाली राहुल गाँधी को हेमंत बिस्मा सरमा ही देता है। जितिन प्रसाद, मिलिंद देवड़ा, नवीन जिंदल, ग़ुलाम नबी आज़ाद और भी दर्जनों नाम है जो सत्ता सुख भोगने के लालच में राहुल गाँधी का साथ छोड़ कर चले गए। हाल ही में कमलनाथ ने भी सत्तासीन दल में जाने की पूरी कोशिश की लेकिन उसे शामिल नहीं किया गया। तो फ़िलहाल कमलनाथ न तो इधर का न ही उधर का रहा। लेकिन राहुल गाँधी का साथ छोड़कर सत्तासीन दल की गोद में जा बैठे ये तमाम लोग अच्छी तरह से जानते है कि सत्तासीन दल में बोलने का अधिकार सिर्फ़ दो ही लोगों को है, दलबदलुओं को नहीं। उनका काम सिर्फ ख़ामोश रहने का है। 

आज राहुल गाँधी एक जननेता के रूप में उभरे है। एक महानायक के रूप में देश ने उन्हें स्वीकार किया है। देश जनता है 2004 में सोनिया गाँधी और 2009 में राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री पद ठुकरा दिया था। पार्टी के नेताओं ने बहुत मनाया लेकिन दोनों माँ-बेटे न जाने किस मिटटी के बने थे दोनों ने दोनों बार प्रधानमंत्री पद को ठुकरा दिया था। लेकिन आज सत्ता पाने के लिए सत्तासीन पार्टी किसी भी हद तक जाने को तैयार है। चाहे विपक्षी नेताओं को जेल भेजना, कांग्रेस के खाते सीज कराना, मीडिया से विपक्ष को ग़ायब कराना। लेकिन लोगों के दिलों में तो राहुल गाँधी बस चुके है। वहां से कैसे निकलोगे। 

एक बात और, राहुल गाँधी की माँ, पिता, दादी और नाना को पानी पी पी कर कोसा गया। उन्हें गाली दी गई। और सच तो यही है कि दस साल देश पर राज करने के बावजूद आज भी भाजपा को चुनाव जितने के लिए कांग्रेस, इंदिरा गाँधी, पंडित नेहरू को गाली देने और भर भर कर कोसने की जरुरत पड़ती है। शायद उन्हें इस बात का भरोसा या गांरटी नहीं कि उनके काम पर देश की जनता उन्हें वोट देगी। 

खैर कोई भी वक्त अच्छा या बुरा नहीं होता। वक्त सिर्फ़ टीचर होता है जो सिर्फ़ सिखाता है। और परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। जो आया है वह जायेगा जरूर। अंधकार है तो जल्द ही रोशनी भी होगी। पतझड़ है तो बहार भी आएगी। Never forget, if winter comes then spring be far behind. 

वक्त फिर लौटकर आएगा जब नफरत की खेती करने वाले बेरोजगार होंगे और उसी राहुल गाँधी के सर जीत का सेहरा होगा जो आज गली-गली प्यार ओर मोहब्बत बांटते हुए फिर रहा है। और तब ये स्वार्थी और नफ़रती लोग राहुल गाँधी से नज़र भी नहीं मिला पाएंगे। लेकिन ये देश के लिए शहीद हुए लोगों के ख़ानदान का है। यह सिर्फ देश को जोड़ना जनता है, बाँटना, तोड़ना या बेचना नहीं। 

दुनिया जानती है आने वाला वक़्त राहुल गाँधी का है। 
आने वाला वक़्त राहुल गाँधी का ही है।

नमस्कार,

मैं पीके वर्मा  

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