डॉ मनमोहन सिंह के पुराने भाषण पर नरेंद्र मोदी का झूठ, नफरती भाषण पर चुनाव आयोग चुप 

  • [By: PK Verma || 2024-04-22 13:04 IST
डॉ मनमोहन सिंह के पुराने भाषण पर नरेंद्र मोदी का झूठ, नफरती भाषण पर चुनाव आयोग चुप 

लोकसभा चुनाव में पहले चरण में 102 सीटों पर मतदान हो चुका है। पहले चरण के मतदान से नरेंद्र मोदी एयर भाजपा की नैय्या डोलती नज़र आ रही है। लेकिन चुनाव किसी भी तरह से जीतना हो, यही सोचकर नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की एक चुनावी सभा में वो राग छेड़ दिया जिसके लिए वह जाने जाते है।

दरअसल, राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिमों पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अगर विपक्षी गठबंधन सत्ता में आया तो जनता की मेहनत की कमाई को 'घुसपैठियों' और 'ज़्यादा बच्चे पैदा करने वालों' को दे दिया जाएगा। इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव को हिन्दू-मुस्लिम रंग में रंगने की कोशिश की। लेकिन भारतीय चुनाव आयोग आँखों पर पट्टी बांधकर और कान में तेल डालकर सोया पड़ा है। लेकिन इसके विपरीत अगर इसी तरह की भाषा किसी विपक्षी नेता ने बोली होती तो अबतक उसे नोटिस भी थमा दिया होता। 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर कहा कि भारत के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने पद की गरिमा को इतना नहीं गिराया, जितना नरेंद्र मोदी ने गिराया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर लिखा:

"आज मोदी जी के बौखलाहट भरे भाषण से दिखा कि प्रथम चरण के नतीजों में ‘इंडिया’ जीत रहा है। मोदी जी ने जो कहा वो हेट स्पीच तो है ही, ध्यान भटकाने की एक सोची समझी चाल है। प्रधानमंत्री ने आज वही किया जो उन्हें संघ के संस्कारों में मिला है। सत्ता के लिए झूठ बोलना, बातों का अनर्गल संदर्भ बनाकर विरोधियों पर झूठे आरोप मढ़ना यह संघ और भाजपा की प्रशिक्षण की ख़ासियत है। देश की 140 करोड़ जनता अब इस झूठ के झांसे में नहीं आने वाली। हमारा घोषणा पत्र हर एक भारतीय के लिए है। सबकी बराबरी की बात करता है। सबके लिए न्याय की बात करता है। कांग्रेस का न्याय-पत्र सच की बुनियाद पर टिका है, पर लगता है गोएबल्स रूपी तानाशाह की कुर्सी अब डगमगा रही है।"

क्या है मामला: दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के मतदान के लिए अपने प्रचार के दौरान 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान को फिर से तोड़-मरोड़ कर और अर्थ का अनर्थ बनाते हुए प्रस्तुत किया जिसका खंडन पिछले बरसों में कई बार किया जा चुका है, जिसका पहला खंडन खुद प्रधानमंत्री कार्यालय ने कर दिया था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव में फ़ायदा लेने के लिए मनमोहन सिंह के पुराने बयान को तोड़-मोड़ पर लोगों के सामने रखा। इस चुनावी सभा में नरेंद्र मोदी मोदी ने मुसलमानों को ‘घुसपैठिये’ बताते हुए कहा कि अगर विपक्षी गठबंधन सत्ता में आया तो लोगों को ‘मंगलसूत्र बेचने को मजबूर कर’ उनकी संपत्ति को ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों दे दिया जाएगा। हमारे आदिवासी परिवारों में चांदी होती है उसका हिसाब लगाया जाएगा, जो बहनों का सोना है, और जो संपत्तियां हैं, ये सबको समान रूप से वितरित कर दी जाएंगी, क्या ये आपको मंज़ूर है? आपकी संपत्ति सरकार को लेने का अधिकार है क्या? क्या आपकी मेहनत करके कमाई गई संपत्ति को सरकार को ऐंठने का अधिकार है क्या?’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पूर्ववर्ती और 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह का हवाला देते हुए कहा:

"पहले जब उनकी सरकार थी, उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे, जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे। घुसपैठियों को बांटेंगे। आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये?"

लेकिन नरेंद्र मोदी का नफरती भाषण यही नहीं रुका। मोदी ने कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र का उल्लेख करते हुए कहा:

"ये कांग्रेस का घोषणा पत्र कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे और उनको बांटेंगे, और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह ने कहा था कि संपत्ति पर पहला हक़ मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओं-बहनों, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे, ये यहां तक जाएंगे।"

ग़ौरतलब है कि नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने अब तक अपने चुनाव प्रचार अभियान में धर्म, आस्था, राम मंदिर और राम और राम मंदिर का कई बार जिक्र किया है और सीधे तौर पर राम और राम मंदिर के नाम पर लोगों से उन्हें वोट देने के लिए कहा है। लेकिन बड़ी बात यह है कि निर्वाचन आयोग पूरी तरह इस पर ख़ामोशी की चादर ओढ़कर सोया पड़ा है। 

क्या था डॉ मनमोहन सिंह का बयान: दरअसल जिस कथित बयान का हवाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे रहे हैं, क्या डॉ मनमोहन सिंह ने ऐसा कहा था? नहीं, डॉ जवाब है नहीं.मन मोहन सिंह ने इस तरह का बयान कभी नहीं दिया। जबकि अपने भाषण में नरेंद्र मोदी अक्सर यही दावा करते रहे हैं, जिसका खंडन साल 2006 में खुद डॉ. मनमोहन सिंह के पीएमओ ने किया था जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के अन्य मुख्यमंत्रियों ने यह बेबुनियाद और बेहूदा आरोप लगाया था। पीएमओ का कहना था कि ‘प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं पर बयान की जानबूझकर गलत व्याख्या की गई है और इससे ऐसा विवाद खड़ा हो गया है, जिसे आसानी से टाला जा सकता था।’ इसने यह भी जोड़ा था कि ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ हिस्सों में भी प्रधानमंत्री की टिप्पणियों को संदर्भ से परे ले जाया गया है, जिससे इस बेबुनियाद विवाद को बढ़ावा मिला।’

क्या था डॉ मनमोहन सिंह का वास्तविक बयान: दरअसल, अल्पसंख्यकों को सशक्त बनाने के भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के जिस बयान को लेकर नरेंद्र मोदी एयर भारतीय जनता पार्टी के द्वारा विवाद खड़ा किया जा रहा था, वो इस तरह था:

"मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं। कृषि, सिंचाई और जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण निवेश, और सामान्य बुनियादी ढांचे  के लिए सार्वजनिक निवेश की जरूरतों के साथ-साथ एससी/एसटी, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यक और महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम हों। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए घटक योजनाओं को दोबारा खड़ा करने की आवश्यकता होगी। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विकास के लाभों में समान रूप से साझा करने का अधिकार मिले। संसाधनों पर पहला दावा उनका होना चाहिए। केंद्र के पास अनगिनत अन्य जिम्मेदारियां भी हैं, जिन्हें समग्र संसाधनों की उपलब्धता के हिसाब से देखना होगा।"

उपरोक्त बयान के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए तत्कालीन पीएमओ ने कहा था, "यह देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री का ‘संसाधनों पर पहले दावे’ का संदर्भ ऊपर सूचीबद्ध की गई सभी ‘प्राथमिकता’ वाले क्षेत्रों को लेकर है, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाएं, बच्चे और अल्पसंख्यकों के उत्थान के कार्यक्रम शामिल हैं।"

21 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झूठ के बाद विपक्ष और कांग्रेस ने इस बयान का विरोध किया। कांग्रेस पार्टी के मीडिया और पब्लिसिटी प्रभारी पवन खेड़ा ने एक्स पर जारी एक वीडियो बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने आज फिर झूठ बोला। एक चुनाव जीतने के लिए आप झूठ पर झूठ परोसते जाएंगे जनता को। आपकी गारंटियां, वादे झूठे हैं। आप देश को हिंदू-मुसलमान के नाम पर झूठ बोलकर बांट रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती है कि हमारे घोषणा-पत्र में कहीं भी हिंदू-मुसलमान लिखा हो तो दिखा दें। इस तरह का हल्कापन आपकी मानसिकता में, आपके राजनीतिक संस्कारों में है। हमने तो युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासियों, मध्यमवर्ग, श्रमिकों को न्याय की बात कही है। आपको इस से भी आपत्ति है?"

ग़ौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के इससे पहले कांग्रेस के घोषणा-पत्र को ‘मुस्लिम लीग’ से जोड़ने का जिक्र कर रहे थे। यह भी एक कोरा झठ था जो प्रधानमंत्री ने चुनावी रैली में बोला। 

इसी बीच, यूथ कांग्रेस नेता बीवी श्रीनिवास ने प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को लेकर निर्वाचन आयोग की चुप्पी पर सवाल उठाया। बीवी श्रीनिवास ने मोदी के बयान का वीडियो पोस्ट करते हुए कहा: "ये देश का दुर्भाग्य है कि ये व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री है, और उससे भी बड़ी त्रासदी है कि भारत का चुनाव आयोग अब जिंदा नही रहा। हार की बौखलाहट के चलते खुलेआम भारत के प्रधानमंत्री नफरत का बीज बो रहे है, मनमोहन सिंह जी के 18 साल पुराने अधूरे बयान को मिसकोट करते हुए ध्रुवीकरण कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग (मोदी का परिवार) नतमस्तक है।"

SEARCH

RELATED TOPICS