एक तीर से तीन शिकार कर योगी, अखिलेश और मायावती को निपटाने की तैयारी

  • [By: PK Verma || 2024-06-27 18:41 IST

जहां एक और दिल्ली में तो स्पीकर पद के लिए मची घमासान रुक गई और ओम बिरला फिर से लोकसभा स्पीकर बन गए। लेकिन उत्तर प्रदेश में मचा घमासान अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। 

उत्तर प्रदेश में खराब लोकसभा चुनाव के नतीजों के चलते साहेब और उसका वज़ीर मुख्यमंत्री के पद से बाबा को हटाने के पर तुले है। लेकिन यूपी वाले बाबा भी काम नहीं है। उन्होंने प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन को बहुत मजबूत कर लिया है। अब यूपी वाले बाबा को हटाना या छेड़ना भी आसान नहीं होगा। दिल्ली वालों को अगर चुनावी नतीजों में बहुमत मिला जाता तो शपथ तो बाद में ली जाती बाबा को हटाने की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी होती। लेकिन जब साहेब और उनका वज़ीर खुद बैसाखियों पर चल रहे है तो ऐसी स्थिति में यूपी वाले बाबा से पंगा महंगा पड़ सकता है।

दूसरी और अपने ख़िलाफ़ होते षड्यंत्र को भापकर यूपी वाले बाबा भी होशियार हो गए है। बाबा ने भी अपने समर्थक नेताओं को लामबंद करना शुरू कर दिया है। अभी दो-तीन दिन पहले दिल्ली में पश्चिम यूपी के कुछ बाबा समर्थक वरिष्ठ भाजपा नेताओं की भी बैठक हुई जिसमें बाबा के बचाव और साहेब और उनके वज़ीर के ख़िलाफ़ विरोध करने की रणनीति पर चर्चा हुई।

सियासी गलियारों में चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में हुई फ़जीहत के चलते चुनावी समीक्षा रिपोर्ट में यूपी वाले को बाबा के ऊपर हार का ठीकरा फोड़ा जा सकता है। प्रदेश में भाजपा की 33 सीटें घटने का एक बड़ा कारण ठाकुरों की नाराजगी और दलितों, मुस्लिमों और पिछड़ों का राहुल गाँधी के इंडिया गठबंधन की ओर जाना भी माना जा रहा है। 

यूपी वाले बाबा का इलाज करने के लिए साहेब और उनका वज़ीर योगी को हटाकर किसी पिछड़े चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है। पिछड़े वर्ग के मुख्यमंत्री के नाम का विरोध संघ या भाजपा भी शायद ना कर सके ऐसी संभावना है। पिछड़ी जाति के कोटे से मुख्यमंत्री बनाये जाने की ख़बर से पश्चिम यूपी के एक जाट नेता के मन में भी लड्डू फूटने लगे है। किसी जाट नेता को मुख्यमंत्री बनाये जाने से जाट नेताओं की भाजपा से नाराजगी को भी दूर किया जा सकता है। और इसका सियासी फ़ायदा हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी लाभ होगा।
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अब चूंकि यूपी वाले बाबा के सिर पर संघ का हाथ है तो इसके चलते बाबा को हटाना बड़ी टेडी खीर साबित हो रहा है। लेकिन अब साहेब और उनके वज़ीर के पास एक शानदार आईडिया क्लिक हो गया है। इससे एक तीर से तीन निशाने लगाना समझों। मतलब उत्तर प्रदेश की तीन हिस्सों में बाँटना। पूर्वांचल प्रदेश, अवध प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश। इसमें बाबा को पूर्वांचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की योजना है। इससे बाबा का कद और रुतबा भी कम हो जायेगा। दूसरा प्रदेश बंटवारे से लोकसभा में तीसरी ताकत बन कर उभरे अखिलेश यादव का भी इलाज हो जायेगा और उनका 2027 में यूपी का मुख्यमंत्री बनने का सपना भी सपना ही रह जायेगा। तीसरा मायावती की बचीखुची ताकत जोकि अभी भी शून्य है वह भी निपट जाएगी। 

लेकिन यक्ष प्रश्न यही है कि जब बाबा के उत्तर प्रदेश के टुकड़े किये जा रहे होंगे तो उस समय बाबा का क्या कर रहे होंगे। शतरंज की इस शह और मात के खेल में यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि कौन किसकी तरफ़। 

नमस्कार। 

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