सरकार में आने पर चुनावी बॉन्ड योजना को फिर वापस लाएंगे: वित्तमंत्री 

  • [By: PK Verma || 2024-04-22 14:46 IST
सरकार में आने पर चुनावी बॉन्ड योजना को फिर वापस लाएंगे: वित्तमंत्री 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के आदेश पर चुनावी बांड की डिटेल मिलने के बाद से जो बड़े बड़े और चौकाने वाले खुलासे सामने आये थे उससे पुरे देश में तहलका मच गया। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने इसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया। इतना ही नहीं मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अर्थशास्त्री पति ने भी मोदी सरकार की चुनावी बांड योजना को दुनियां का सबसे बड़ा घोटाला कहा था। लेकिन अभी 21 अप्रैल को अपने एक साक्षात्कार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ख़ारिज की गई चुनावी बॉन्ड योजना चुनावी चंदे में पारदर्शिता लेकर आई थी, इसमें कुछ सुधार की ज़रूरत है। यदि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 के आम चुनावों में फिर से सत्ता में वापसी करती है, तो सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद चुनावी बॉन्ड योजना को किसी न किसी रूप में वापस लाया जाएगा। सभी हितधारकों से परामर्श के बाद इसे किसी और रूप में वापस लाया जा सकता है। 

दरअसल हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोदी सरकार में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विवादास्पद राजनीतिक फंडिंग योजना में अपना भरोसा जताया है जिसे फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए खारिज़ कर दिया था। लेकिन वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि इस चुनावी बॉन्ड योजना में कुछ बदलाव जरूरी थे। वित्त मंत्री ने कहा,

"हमें अभी भी हितधारकों के साथ बहुत विचार-विमर्श करना है और देखना है कि ऐसा ढांचा बनाने या लाने के लिए हमें क्या करना है जो सभी के लिए स्वीकार्य होगा। मुख्य रूप से ऐसा ढांचा जो पारदर्शिता के स्तर को बनाए रखना वाला और इसमें काले धन के प्रवेश की संभावना को पूरी तरह से खत्म करने वाला हो। केंद्र सरकार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले की समीक्षा की मांग की जाए या नहीं। जिस वर्तमान योजना को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया, वह पारदर्शिता लेकर आई थी. पहले सबको खुली छूट थी।"

खबर के अनुसार, एक साक्षात्कार में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति 2024 के चुनावों के लिए बहुत उपयुक्त है। उन्होंने महंगाई को नियंत्रण में रखने का श्रेय लिया और भ्रष्टाचार और उत्तर-दक्षिण विभाजन को बढ़ावा देने के लिए विपक्ष पर हमला बोला और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए एक सुझाव भी पेश किया। उन्होंने इस बारे में भी बात की कि कैसे लोकसभा चुनाव 2024 में 370 सीट जीतना भाजपा का वास्तविक लक्ष्य है और वह क्यों मानती हैं कि द्रविड़ राजनीतिक दलों ने दक्षिण भारत के लोगों को गुमराह किया है। 
सीतारमण ने स्वीकार किया कि इस योजना के कुछ पहलुओं में सुधार की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, भारतीय चुनाव आयोग और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि शेल कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों ने राजनीतक दलों को चंदा दिया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ‘अच्छे परामर्श’ के बाद इस योजना को किसी और रूप में वापस लाया जा सकता है। 

अपने साक्षात्कार में  उन्होंने यह आरोप लगाने के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लिया कि भाजपा ने उन नेताओं पर आपराधिक आरोपों को नजरअंदाज कर दिया है, जो अन्य दलों से सत्तारूढ़ दल में शामिल हो रहे हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा,

"भाजपा यहां बैठकर यह नहीं कह सकती कि आप आज मेरी पार्टी में आएं और कल मामला बंद हो जाएगा। मामले को अदालतों से गुजरना होता है और अदालत को निर्णय लेना होता है। अदालतें यह नहीं कहेंगी,   ‘ओह, वह आपकी पार्टी में आ गए हैं, अब मामला बंद करो। इस तरह नहीं होता है। इसलिए क्या वे यह वॉशिंग मशीन शब्द अदालतों के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं?"

ग़ौरतलब है कि 2018 में लाई गई इस चुनावी बांड योजना जना के तहत चुनावी बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक की किसी भी शाखा से खरीदे जा सकते थे। इस योजना के तहत कॉरपोरेट और यहां तक ​​कि विदेशी संस्थाओं द्वारा भारतीय सहायक कंपनियों के माध्यम से दिए गए चंदे पर 100 प्रतिशत कर छूट भी मिलती थी, जबकि चंदादाताओं की पहचान बैंक और बॉन्ड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों द्वारा गोपनीय रखी जाती थी। लेकिन 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस योजना को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए खारिज कर दिया था, क्योंकि इसमें राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे को पूरी तरह से गुप्त रखा गया था। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को इन चुनावी बांड्स की तमाम जानकारी चुनाव आयोग को सौपने का आदेश दिया। लेकिन स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ हलके में लेते हुए चुनावी बांड्स की तमाम जानकारी जून 2024 के आखिर में देने की बात कही। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती के बाद अगले ही दिन स्टेट बैंक ने चुनावी बांड्स की तमाम जानकारी चुनाव आयोग को दे दी और चुनाव आयोग ने इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर पब्लिश कर दिया। जिसके बाद वसूली और चंदे के धंदे का खुलासा हो सका। 

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