डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और जीवनशैली में बदलाव की जरूरत

  • [By: PK Verma || 2024-11-15 14:12 IST
डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और जीवनशैली में बदलाव की जरूरत

डायबिटीज के कारण, शरीर पर इसका प्रभाव और सावधानी 
डायबिटीज को ख़त्म करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और जीवनशैली में बदलाव की जरूरत होती है। देश दुनिया में हर साल 14 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ (IDF) द्वारा विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) मनाया जाता है। इस विशेष दिन लोगों को डायबिटीज से लड़ने और इसे कम करने और इसे हारने के लिए प्रेरित किया जाता है। दुनिया में 82% मानते हैं अच्छी दिनचर्या ही डायबिटीज से बचाव कर सकती है। जबकि सिर्फ 32% लोगों का भरोसा है कि नियमित व्यायाम और योग से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। वास्तव में मानव जीवन में मधुमेह (डायबिटीज) एक ऐसी स्थिति होती है। जो न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 तक पूरी दुनिया में लगभग 83 करोड़ लोग मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित हैं। मधुमेह (डायबिटीज) एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या इसका सही उपयोग नहीं कर पाता है। लेकिन कई ऐसे लोग भी है जिन्होंने अपनी इच्छा शक्ति और फिटनेस ने कड़ा संघर्ष करते हुए मधुमेह पर विजय प्राप्त की। 

डायबिटीज क्या है: यह एक जीवनभर रहने वाली बीमारी है। यह एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें मरीज़ के शरीर के रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बहुत अधिक होता है। जब व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (Insulin) नहीं बन पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। ग़ौरतलब है कि इंसुलिन का बनना शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रक्त से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज़ का संचार करता है।  इसीलिए जब इंसुलिन सही मात्रा में नहीं बन पाता तो पीड़ित व्यक्ति के बॉडी मेटाबॉलिज्म (Body Metabolism) पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। दरअसल मानव जीवन में डायबिटीज एक ऐसी स्थिति होती है। जो न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होती है। लेकिन इससे घबराने की जरुरत नहीं है। क्योंकि डायबिटीज के साथ भी एक संतुलित जीवनशैली और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सामान्य जीवन जिया जा सकता है।

डायबिटीज होने का मुख्य कारण: आपका शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है। अथवा अपने द्वारा बनाए गए इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। हार्मोन इंसुलिन रक्त से ग्लूकोस को आपकी कोशिकाओं में ले जाता है, ताकि उसे संग्रहीत किया जा सके या ऊर्जा के लिए इस्तेमाल किया जा सके। अगर यह ठीक से काम नहीं करता है, तो आपको मधुमेह यानी डायबिटीज हो सकता है।

सामान्य शब्दों में समझा जाये तो जब शरीर सही तरीके से रक्त में मौजूद ग्लूकोज़ या शुगर का उपयोग नहीं कर पाता। तब व्यक्ति को डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है। आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण ये स्थितियां हो सकती हैं: इंसुलिन की कमी, परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होना, बढ़ती उम्र, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल, एक्सरसाइज ना करना, हार्मोन्स का असंतुलन, हाई ब्लड प्रेशर, बाहरी खान-पान का शौक। 

डायबिटीज़ के लक्षण: दरअसल पीड़ित व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर मामलों में अगर व्यक्ति प्री डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हो तो समस्या की शुरूआत में लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। लेकिन टाइप-1 डायबिटीज के मरीज़ों में डायबिटीज़ लक्षण बहुत तेजी से प्रकट होते हैं और ये काफी गंभीर भी होते हैं। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण ये हैं: बहुत अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, भूख बहुत अधिक लगना, अचानक से शरीर का वजह कम हो जाना या बढ़ जाना, थकान, चिड़चिड़ापन, आंखों के आगे धुंधलापन, घाव भरने में बहुत अधिक समय लगना, स्किन इंफेक्शन, ओरल इंफेक्शन्स, वजाइनल इंफेक्शन्स आदि।  

इसकी कमी से डायबिटीज होता है: विटामिन डी की कमी से पैंक्रियाज सही से काम नहीं कर पाता। जिससे शरीर में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। ग़ौरतलब है कि  विटामिन डी की कमी से टाइप 1 और टाइप 2 दोनों तरह की डायबिटीज हो सकती है। 

डायबिटीज शरीर के किन अंगों को प्रभावित करती है: अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार डायबिटीज से पीड़ित लोगों में दिल की बीमारियों का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में दोगुना होता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के अनुसार डायबिटीज से पीड़ित लोगों में किडनी फेल होने का खतरा 20 गुना अधिक होता है। ये बीमारी हार्ट, किडनी, आंखें, नसें, पैर, स्किन, हड्डियां और यहां तक की ब्रेन पर भी असर करती है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हाई बीपी का रिस्क रहता है। ब्लड प्रेशर का बढ़ना हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बनता है। डायबिटीज के मरीजों में किडनी के खून को फिल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे किडनी फेल होने का रिस्क होता है। डायबिटीज के मरीजों में आंखों के रेटिना को नुकसान होता है। इस बीमारी को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। 

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, डायबिटीज के 20 फीसदी मरीजों को रेटिनोपैथी का खतरा रहता है। ये बीमारी आंखों के अंधेपन का भी कारण बन सकती है। डायबिटीज की बीमारी अम्पयूटेशन भी कर सकती है। इससे पैरों में घाव हो जाते हैं और ये संक्रमण पूरे शरीर में फैल सकता है। मेडिकल जर्नल द लैंसेट के अनुसार, दुनियाभर में अंधेपन, किडनी फेल और हार्ट अटैक आने की एक बड़ी वजह डायबिटीज ही है। इस बीमारी के कई मरीजों में स्किन की बीमारियां जैसे एक्जिमा, सोरायसिस का भी रिस्क रहता है। द लैंसेट जर्नल की रिसर्च बताती है की डायबिटीज के मरीजों में सामान्य लोगों की तुलना में अल्जाइमर यानी यादादश्त कमजोर होने वाली बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। 

कई स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का मानना है कि टाइप-1 डायबिटीज को तो होने से नहीं रोका जा सकता, क्योंकि ये जेनेटिक है। लेकिन टाइप-2 डायबिटीज से बचाव हो सकता है। इसके लिए, प्रोसेस्ड फूड, सफेद ब्रेड खाना बंद करें। अपनी डाइट में सब्जियां और ताजे मौसमी फल को स्थान दें। नियमित एक्सरसाइज अथवा योग करने से भी ब्लड शुगर लेवल को कम किया जा सकता है। आम शब्दों में प्रतिदिन 15 मिनट की एक्सरसाइज भी डायबिटीज के खतरे को कम कर सकती है.

जिनको डायबिटीज है वो क्या करें: जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें समय पर अपनी दवाएं लेनी चाहिए। हर सप्ताह अपना शुगर लेवल चेक करना चाहिए। मीठा खाने से बचना चाहिए। रोजाना कम से कम 2 किलोमीटर पैदल चले। कोशिश करे कि बाहर का भोजन न करना पड़े। इसके अतिरिक्त मानसिक तनाव से भी बचना चाहिए।