मजदूरी करके पत्नी को बनाया लेखपाल, बनते ही छोड़ा पति 

  • [By: Asian Express Live || 2024-07-11 15:40 IST
मजदूरी करके पत्नी को बनाया लेखपाल, बनते ही छोड़ा पति 

झांसी। पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य की कहानी अभी लोग भूले भी नहीं होंगे कि इसी तरह का दूसरा मामला सामने आ गया। नीरज विश्वकर्मा ने मजदूरी करके अपनी पत्नी ऋचा को पढ़ा-लिखा कर लेखपाल बनाया। लेखपाल की नौकरी मिलते ही ऋचा ने अपने पति को छोड़ दिया। 

पीड़ित युवक नीरज विश्वकर्मा कारपेंटर का काम करता है। करीब 5 साल पहले झांसी के सत्यम कालोनी में रहने वाली ऋचा सोनी नामक युवती से उसकी मुलाकात हुई थी। छह माह दोस्ती चलने के बाद नीरज और ऋचा को एक दूसरे से प्यार हो गया। प्यार होने के बाद दोनों करीब ढाई साल रिलेशनशिप (यानी पति पत्नी की तरह) में रहे और फिर एक दिन ओरछा मंदिर में जाकर शादी कर ली। शादी करने के बाद दोनों घर आ गए और साथ हंसी-खुशी से रहने लगे। इस दौरान ऋचा ने नीरज को बताया कि वह आगे पढ़ना चाहती है। ऋचा को पढ़ाने के लिए नीरज मजदूरी करता रहा। जब ऋचा का लेखपाल की नौकरी के लिए चयन हो गया तो फिर ऋचा का अपने पति नीरज के प्रति व्यवहार बदल गया। लेखपाल के पद पर चयन होने के बाद ऋचा सोनी अपने पति नीरज को छोड़कर चली गई। तब से अभी तक वह लौटकर घर नहीं आई है। 

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अपनी पत्नी ऋचा सोनी को पाने के लिए नीरज विश्वकर्मा उच्च अधिकारी से लेकर पुलिस तक के चक्कर लगा चुका है, लेकिन पत्नी ऋचा सोनी नहीं मिली।  यहां तक आज जब उसे पता चला कि उसकी पत्नी ऋचा सोनी को कलेक्ट्रेट में नियुक्ति पत्र मिल रहा है, तो नीरज विश्वकर्मा पत्नी ऋचा सोनी की एक झलक पाने के लिए वहां पहुंच गया। लेकिन वहां भी खाली हाथ लौटना पड़ा। ऋचा सोनी नियुक्ति पत्र लेकर छिपते हुए निकल गई। इस प्रकार पति पत्नी की मुलाकात नहीं हो सकी। 

पीड़ित युवक नीरज विश्वकर्मा ने कहा:

"मैं 18 जून से परेशान हूं। मेरी पत्नी रिचा सोनी विश्वकर्मा है, वह लेखपाल बन गई है। इसलिए मुझे छोड़कर चली गई है। अपनी पत्नी के लिए हर जगह जा कर गुहार लगा चुका हूं, लेकिन वह नहीं मिल रही है। जब उसे लेखपाल का नियुक्ति पत्र मिलना था, तो मैं कलेक्ट्रेट गया, उसे खोजने के लिए हर जगह देखा, लेकिन वह नहीं मिली। वह नियुक्ति पत्र लेकर चली गई। मैंने उसके लिए सब कुछ किया। 

नीरज विश्वकर्मा अपनी पत्नी ऋचा के लिए पुलिस से लेकर अधिकारियों के चक्कर लगा चुका है। मगर उसे अभी तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। वहीं, जब बुधवार को पत्नी को लेखपाल के पद के लिए नियुक्ति पत्र मिल रहा था तो उसे खोजने के लिए वह कलेक्ट्रट भी गया हुआ था, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ा। वहीं जब इस बारे में ऋचा सोनी से फोन पर बात की गई तो उसने कैमरे के सामने आने से इनकार करते हुए कहा कि उसकी कोई शादी नहीं हुई है। 

नीरज विश्वकर्मा ने आगे कहा:

"मैंने ऋचा को पढ़ाने के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना किया। मै बढ़ई हूँ। जो ऋचा ने चाहा वो मैंने उसके लिए किया। मैं 400-500 रुपये प्रतिदिन कमाता था। उसी से पत्नी ऋचा की पढ़ाई कराई। कई बार तो ब्याज पर कर्ज भी लेना पड़ा। आज मैं दिन-रात उसे याद करता हूँ। रात में नींद भी नहीं आती है। आज वह कहती है कि हमारी शादी नहीं हुई है। हमारे पास शादी की फोटो और प्रमाणपत्र है। क्या यह फर्जी है। फरवरी 2022 में दोनों की ओरछा में शादी हुई थी। मै बहुत परेशान हूँ। और पत्नी की वापिस लेन के लिए दर-दर भटक रहा हूँ। 

आज की सच्चाई: जब पुरुष कमाता है तो पूरे घर का ख्याल रखता है। रसोई का खर्च, घर का खर्च, बिजली-पेट्रोल का खर्च, बच्चों की फीस, घर के सभी लोगों के मोबाइल का रिचार्ज का खर्च, माँ-बाप की दवाइयां, बीवी के खर्चे, मकान-गाड़ी की किस्तें सब निकालकर उसके पास एक जोड़ी पेंट-शर्ट के पैसे भी नहीं बचते। दो जोड़ी कपड़ों में सालों निकाल देता है। दूसरी और जब महिला कमाती है तो "मैं खुद कमाती हूँ। अपना खर्चा खुद उठा सकती हूँ। मुझे किसी के सहारे की ज़रूरत नहीं है। अब मै तुम्हारे साथ नहीं रह सकती। 

मतलब: जब मर्द कमाता है तो परिवार में सबकी ज़रूरतें पूरी करता है और जब औरत कमाती है तो वह सोचती है कि अब उसे पति की ज़रूरत नहीं। सारा दिन अपने मायके वालों के साथ फ़ोन पर चिपकी रहती हैं। उसकी भाभी पत्नी के माँ-बाप को परेशान करे तो हाय, मेरी भाभी तो पूरी डायन है, चुड़ैल है। मेरे माँ-बाप को परेशान कर रखा है। जबकि वह यही सब अपने पति के परिवार वालों के साथ करती है वो ठीक है। बच्चों को अपने मायका वालों की और जोड़ती है और अपने पति के परिवार वालों से तोड़ती है। 

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