शासनादेश के बावजूद कर्मचारी की पुनः बहाली को तैयार नहीं सिंचाई निर्माण खंड मेरठ 

  • [By: Meerut Desk || 2024-12-07 16:45 IST
शासनादेश के बावजूद कर्मचारी की पुनः बहाली को तैयार नहीं सिंचाई निर्माण खंड मेरठ 

मेरठ/लखनऊ: जहां एक और प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार दलितों के उत्थान और विकास के लिए कार्य कर रही है वहीँ दूसरी और अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ एक दलित कर्मचारी बिजेंद्र कुमार को शासनादेश के बावजूद पुनः बहाली को तैयार नहीं हैं। लगभग 24 साल से दलित कर्मचारी अपनी बहाली को लेकर ऑफिस के चक्कर काट रहा है लेकिन सिंचाई विभाग में कोई सुनने को तैयार नहीं है। 

हाई कोर्ट में दाखिल की ग़लत जानकारी: सोची-समझी साजिश के तहत जानबूझ कर तत्कालीन अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ ने शासन और उच्च न्यायालय को गलत सूचना/जानकारी देकर भ्रमित किया। जिसके चलते पीड़ित को न्याय नहीं मिला। 

कहां फंसा पेंच: तत्कालीन अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ ने पीड़ित कर्मचारी बिजेंद्र कुमार (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) की सेवा से संबंधित दो पत्र जारी किये जिनमें से एक पत्र के अनुसार पीड़ित कर्मचारी को 104 कार्य दिवस और दूसरे में 130 कार्य दिवस कार्य करना दर्शाया गया। 

श्रम न्यायालय का पीड़ित के पक्ष में निर्णय: जब पीड़ित कर्मचारी जिला श्रम न्यायालय पहुंचा तो न्यायालय ने पीड़ित बिजेंद्र कुमार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड मेरठ को कर्मचारी को सवेतन पुनः सेवा बहाली का आदेश दिया। 

विभाग पहुंचा उच्च न्यायालय: लेकिन सिंचाई निर्माण खंड मेरठ जिला श्रम न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने के स्थान पर उच्च न्यायालय चला गया और कर्मचारी बिजेंद्र कुमार के 104 और 130 दिन कार्यदिवस का हवाला देते हुए कहा की उक्त कर्मचारी के शासनादेश के अनुसार 240 दिन कार्यदिवस नहीं है। इस दलील पर माननीय न्यायालय ने पीड़ित कर्मचारी को लगभग ढाई लाख रूपये अदा करने का आदेश दे दिया। 

क्या कहता है शासनादेश आदेश: शासनादेश आदेश के अनुसार यदि कोई कर्मचारी विभाग में 240 दिन लगातार कार्य दिवस करता है तो उस कर्मचारी को विभाग द्वारा नियमित किया जायेगा। 

राजभवन द्वारा जाँच के आदेश के बाद विभाग ने जारी किया पीड़ित कर्मचारी के 300 दिन कार्य दिवस का आधिकारिक पत्र:  पीड़ित कर्मचारी बिजेंद्र कुमार ने न्याय के लिए राजभवन उत्तर प्रदेश के कार्यालय में गुहार लगाई। जिस पर राजभवन ने अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ को उक्त प्रकरण में जाँच कर आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। इस निर्देश के बाद अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ ने पीड़ित कर्मचारी बिजेंद्र कुमार के 300 दिन सेवा के लगातार कार्यदिवस को सिद्ध करता हुआ एक पत्र जारी करते हुए पूरी जाँच आख्या राजभवन को भेज दी। अर्थात सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ ने स्वीकार कर लिया कि पीड़ित कर्मचारी बिजेंद्र कुमार ने विभाग में 300 दिन लगातार सेवा की है। जबकि शासनादेश आदेश के अनुसार यदि कोई कर्मचारी विभाग में 240 दिन लगातार कार्य दिवस करता है तो उस कर्मचारी को विभाग द्वारा नियमित किया जायेगा। लेकिन विभाग ने ऐसा नहीं किया और खुल्ला शासनादेश का उल्लंघन किया। 

जाँच आख्या प्राप्त होने के बाद सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव ने पीड़ित कर्मचारी बिजेंद्र कुमार के 300 दिन सेवा का अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ द्वारा जारी विभागीय पत्र को आधार मानते हुए कर्मचारी के पुनः बहाली के आदेश दिये। लेकिन प्रमुख सचिव के आदेश का भी अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ पर कोई असर नहीं पड़ा और पीड़ित कर्मचारी की पुनः सेवा बहाली से इंकार कर दिया। 

मामला पहुंचा राज्य एससी/एसटी आयोग: अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ द्वारा पीड़ित बिजेंद्र कुमार की पुनः सेवा बहाली के शासनादेश की अवहेलना होने पर पीड़ित कर्मचारी ने राज्य एससी/एसटी आयोग में गुहार लगाई जिसमे अधिशासी अभियंता सिंचाई निर्माण खंड, मेरठ को पूरी पत्रावली के साथ आयोग में तलब किया गया है। 

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