101 अदालती समन के बाद फ़रार विधायक रफ़ीक अंसारी गिरफ़्तार, जेल भेजा
- [By: Meerut Desk || 2024-05-28 18:53 IST
मेरठ से समाजवादी पार्टी के शहर विधायक रफीक अंसारी को मेरठ पुलिस ने बाराबंकी के जैतपुर थानाक्षेत्र से सोमवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया। विधायक रफ़ीक अंसारी कानूनी तौर पर पिछले 26 साल से फरार थे। हाईकोर्ट ने रफ़ीक अंसारी की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया था। हाईकोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया था कि रफीक अंसारी को कोर्ट का वारंट तामील करा अपनी रिपोर्ट अदालत मेंदाखिल करें। सोमवार रात करीब 9 बजे बराबंकी से मेरठ लाकर उन्हें कोर्ट मेंपेश किया गया। कोर्ट ने रफ़ीक अंसारी की जमानत याचिका खारिज करते हुए 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया।
दरअसल मेरठ के नौचंदी थाने के हिस्ट्रीशीटर रहे रफीक अंसारी 32 साल पहले जब बवाल हुआ तब वे पार्षद थे। समाजवादी पार्टी के टिकट पर वे लगातार तीन बार पार्षद चुने गए। 2012 में सपा के टिकट पर मेरठ सीट से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी के सामने हार गए। चुनाव हारने के बाद भी रफीक अंसारी को अखिलेश यादव की सरकार में हथकरघा एवं पर्यटन विभाग में दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री बनाया गया।
क्या था मामला। दरअसल 1992 में हापुड़ रोड पर मीट की दुकानों को लेकर अंसारी और कुरैशी बिरादरी के लोगों में मारपीट हो गई थी। भीड़ ने तोड़फोड़ करते हुए आगजनी कर दी थी। इस मामले में लिसाड़ी गेट और नौचंदी थाने में आईपीसी की धारा 147, 427 और 436 के अंतर्गत दो मुकदमे दर्ज किए गए थे। 40 लोगों को आरोपी बनाया गया था। विवेचना में पुलिस ने मौजूद पार्षक रफीक अंसारी और हाजी बुंदू को भी आरोपी बना दिया था। पुलिस ने इस मामले में सन 1995 में 22 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया था। 18 लोगों का नाम साक्ष्य नहीं होने के कारण मुकदमे से निकल गए थे। वर्ष 1997 में संबंधित अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया। रफीक अंसारी के कोर्ट में पेश नहीं होने पर 12 दिसंबर 1997 को उनके गैर जमानती वारंट जारी हो गए थे। इसके बाद रफीक अंसारी के 101 गैर जमानती वारंट जारी हुए। सीआरपीसी की धारा 82 के अंतर्गत कुर्की प्रक्रिया के बावजूद भी समाजवादी पार्टी विधायक रफ़ीक़ अंसारी कोर्ट में पेश नहीं हुए। वह अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट चले गए। अदालत में उनके वकील ने पक्ष रखा कि 15 मई 1997 को फैसले में कोर्ट ने 22 आरोपियों को बरी कर दिया। ऐसे में उनके खिलाफ केस में कार्रवाई रद की जानी चाहिए। लेकिन हाई कोर्ट ने इसे ख़ारिज कर दिया।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिए कि विधायक रफीक अंसारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा पहले जारी किए गए गैर-जमानती वारंट की तामील सुनिश्चित करें। अगर वह अब तक तामील नहीं हुए हैं तो अगली तारीख पर अनुपालन हलफनामा दायर किया जाएगा। अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के सीमित उद्देश्य के लिए मामले को 28 मई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश कोर्ट ने दिए।
एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने रफीक अंसारी की गिरफ्तारी के लिए सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी के निर्देशन में टीम गठित की। पुलिस ने विधायक के घर दबिश दी लेकिन वह वहां से निकल गए। कई दिन से पुलिस उनकी तलाश में थी। रफ़ीक अंसारी की गिरफ़्तारी करके मेरठ पुलिस विधायक को मेरठ लेकर आ गई। रफ़ीक़ अंसारी को अदालत में पेश किए जाने के दौरान कोई बाधा न उत्पन्न करे इसको लेकर आरएएफ और नौ थानों की पुलिस को सिविल लाइन थाने में बुला लिया गया। अदालत में पेश किए जाने से लेकर जेल में दाखिल किए जाने तक करने तक बड़ी संख्या में पुलिस तैनात रही। कचहरी में फायर ब्रिगेड की गाड़ी को रखा गया। कमिश्नरी चौराहा, जेल चुंगी चौराहा, ईव्ज, बच्चा पार्क चौराहा, नौचंदी में तिरंगा गेट से लेकर लिसाड़ी गेट तक बड़ी संख्या में पुलिस सड़कों पर तैनात रही। पुलिस क्यूआरटी की कड़ी सुरक्षा में सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी और सीओ कोतवाली आशुतोष कुमार ने रात 8.55 बजे विधायक रफीक अंसारी को कोर्ट में पेश किया। विधायक रफीक अंसारी को यूपी82-जेड-7833 क्रेटा कार से कचहरी लाया गया। गाड़ी पर उत्तर प्रदेश सरकार लिखा हुआ था। जब एशियन एक्सप्रेस लाइव के संवाददाता ने विधायक रफ़ीक अंसारी अपनी गिरफ़्तारी पर बयान देने को कहा लेकिन विधायक रफीक अंसारी ने कुछ भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
विधायक रफ़ीक अंसारी का सियासी सफ़र। कक्षा 8 तक पढ़े रफीक अंसारी ने सबसे पहले पार्षदी का चुनाव जीता। समाजवादी पार्टी की टिकट पर लगातार तीन बार पार्षद चुने गए। इसी दौरान पार्टी के भीतर उनका कद भी बढ़ता गया। साल 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें मेरठ शहर सीट से विधायकी का टिकट मिला। वह भारतीय जनता पार्टी के पूर्व उत्तर प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी से करीब चार हजार वोटों के अंतर से हारे, लेकिन इससे पार्टी में उनका कद कम नहीं हुआ। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हारने के बाद भी रफ़ीक़ अंसारी को अखिलेश यादव की सरकार में हथकरघा एवं पर्यटन विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद रफीक अंसारी ने मेरठ नगर निगम के मेयर पद का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भी उन्हें बीजेपी के हरिकांत अहलूवालिया के हाथों हार मिली। उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की तरफ से एक बार फिर से रफीक अंसारी को टिकट दिया गया। इस बार फिर उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी थे। हालांकि, इस बार बाजी पलट गई थी। भारतीय जनता पार्टी की लहर के बीच भी रफीक अंसारी ने लक्ष्मीकांत को 28 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया। वह मेरठ जिले की कुल सात विधानसभा सीटों में अकेले गैर बीजेपी विधायक रहे। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में रफीक अंसारी भाजपा के कमलदत्त शर्मा को हराया।
इस मामले से पहले भी समाजवादी पार्टी विधायक रफीक अंसारी के खिलाफ वारंट जारी हुए हैं। 30 जनवरी 2020 को रफीक अंसारी के खिलाफ मेरठ की एक अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। ये वारंट 13 साल पहले के एक मामले में जारी किया गया था। साल 2007 में नगर निगम के एक ठेकेदार ने आरोप लगाया था कि रफीक अंसारी ने उनके ऊपर चाकू से हमला किया है। इस मामले में चार साल बाद 2011 में चार्जशीट दाखिल हुई थी। हालांकि, उस समय रफीक अंसारी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।
दूसरी और मेरठ भाजपा के 2022 में शहर विधानसभा प्रत्याशी रहे कमलदत्त शर्मा ने रफीक अंसारी की गिरफ्तारी के बाद कहा कि रफीक अंसारी ने झूठा ब्योरा देकर चुनाव लड़ा है। अपने नामांकन के दौरान झूठा शपथ पत्र दिया था। जिसमें सिर्फ सिविल लाइन थाने में दर्ज एक मुकदमे का ही उल्लेख किया था। रफीक अंसारी का यह मामला धोखाधड़ी का है। जिसमें आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। इस मामले में अपने अधिवक्ता से बातचीत करके समाजवादी पार्टी के शहर विधायक रफीक अंसारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएंगे।
कोर्ट के बाहर विधायक के पहुंचने पर समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने रफीक अंसारी जिंदाबाद के नारे लगाए। रफीक अंसारी तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं, अखिलेश यादव जिंदाबाद और समाजवादी पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाए। समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी, आदिल चौधरी समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने पर जब मेरठ शहर के समाजवादी पार्टी विधायक रफीक अंसारी का कहना है कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
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