हाई कोर्ट के धवस्त करने के आदेश के बावजूद होटल 22बी में चल रही पार्टियां

  • [By: Meerut Desk || 2024-09-14 17:47 IST
हाई कोर्ट के धवस्त करने के आदेश के बावजूद होटल 22बी में चल रही पार्टियां

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मेरठ। होटल 22बी प्रकरण में बसपा से मेरठ विधानसभा का चुनाव लड़ चुका पंकज जौली 7 बार हाई कोर्ट गया और सातों बार उसकी याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज़ कर दिया। यानी कैंट बोर्ड की फाइलों में होटल 22बी सील है लेकिन हक़ीक़त में उक्त होटल पूरी तरह से चालू है और महफ़िलों से गुलज़ार है। कैंट-बोर्ड हाईकोर्ट के फैसले के आदेश की कॉपी को मुंह पर रख सो गया है। उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है हैं। 

क्या है मामला: दरअसल हाई कोर्ट ने होटल 22बी को सील कर धवस्त करने के आदेश दिए हुए है। ध्वस्तीकरण के आदेश के ख़िलाफ़ पंकज जौली 7 बार हाई कोर्ट गया और सातों बार अपनी ख़ारिज याचिकाओं को लेकर वापिस आ गया। जिसके चलते कैंट बोर्ड की फाइलों में सील 22बी मौके पर महफ़िलों से गुलजार है। हाईकोर्ट से पंकज जौली की सात रिट खारिज करने के बाद ध्वस्त करने के आदेश के बाद भी कैंट के बाउंड्री रोड स्थित होटल 22बी कैंट अफसरों के भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है। केवल कैंट बोर्ड ही नहीं होटल 22बी में जो कुछ हुआ उसमें सीईओ व डीईओ के अलावा सब एरिया मुख्यालय के वो तमाम अधिकारी भी कसूरवार है जो यहां थर्ड पार्टी शराब पिलाने का लाइसेंस दिया करते थे। इनके अतिरिक्त लालकुर्ती पुलिस भी कम कसूरवार नहीं जिसने हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी होटल 22बी की सील तोड़कर होटल संचालित करने के आरोप में पंकज जौली के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं की।

सूत्रों के अनुसार साल 2013-14 में कैंट बोर्ड की एक बैठक में बंगला संख्या 22बी में किए गए तमाम अवैध निर्माण ध्वस्त करने के आदेश जारी किए गए थे। उस समय कैंट बोर्ड के सीईओ पुरुषोत्तम लाल और डीईओ डीएन यादव थे। अपने कार्यकाल में ये दोनों अधिकारी हमेशा चर्चाओं में रहते थे। कैंट बोर्ड की बैठक में तब दिए गए होटल 22बी के ध्वस्तीकरण के आदेशों के खिलाफ पंकज जौली हाईकोर्ट चला गया। ध्वस्तीकरण के बोर्ड के आदेशों के खिलाफ बैक टू बैक सात रिट दायर की गयी और सातों खारिज भी हो गईं। लेकिन आज तक कैंट बोर्ड और लालकुर्ती पुलिस ने होटल 22बी को हाई कोर्ट के आदेशानुसार धवस्त करने और इसके संचालक संचालक पर कोर्ट के आदेश के बावजूद होटल की सीलिंग तोड़कर व्यापारिक गतिविधियां संचालित करने के आरोप में कोई कार्यवाही नहीं की गई। 

उसी दौरान धारा 249 की तहत कार्रवाई करते हुए होटल 22बी सील कर दिया गया। सील की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में दर्खास्त देकर बताया गया कि वहां कोई अवैध निर्माण नहीं किया जा रहा है। सिर्फ़ मरम्मत भर की जा रही है। लेकिन हाईकोर्ट में यह बकवास दलील नहीं चली। उसके बाद 2018 में होटल 22बी पर लगाई गई कैंट बोर्ड की सील को संचालकों ने तोड़ दिया गया। इसके खिलाफ कैंट बोर्ड हाईकोर्ट गया। इसको गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को पंकज जौली के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कराने के आदेश कैंट बोर्ड को दिए। दूसरी और आरोप है कि लालकुर्ती पुलिस ने पंकज जौली के ख़िलाफ़ कोई मुकदमा नहीं लिखा तथा जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति भर की गई। उसके बाद साल 2018 में एक बार फिर पंकज जौली हाईकोर्ट गया और ट्रेड लाइसेंस दिलाने की प्रार्थना की। लेकिन बाद में पंकज जौली ने अपनी याचिका यह कहते हुए वापस ले ली  कि कैंट बोर्ड उसके प्रार्थना-पत्र पर ट्रेड लाइसेंस जारी कर देगा। और बाद में ऐसा ही हुआ पंकज जौली और उसके सहयोगी होटल 22बी को ट्रेड लाइसेंस दिलाने में बाद में कामयाब हो गए।

सील लगाने वालों ने ही दिया ट्रेड लाइसेंस: सबसे बड़ी बात यह है कि होटल 22बी पर सील लगाने का काम कैंट बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन व इंजीनियरिंग सेक्शन के जिन अधिकारियों ने किया था। उन्होंने ही साल 2018 में 22बी में व्यापारिक गतिविधियां चलाने को ट्रेड लाइसेंस जारी कर दिया। गौर करने वाली बात यह है कि कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने यह ट्रेड लाइसेंस पंकज जौली के स्थान पर उसके पुत्र कुंज जौली के नाम जारी किया गया। लेकिन सवाल तो बनता है कैंट बोर्ड की फाइलों में सील बंगला संख्या 22बी का ट्रेड लाइसेंस कैसे बन गया। जबकि 22बी के ध्वस्तीकरण के आदेश हाई कोर्ट ने दे रखे है। 

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