दलित कर्मचारी के बहाली प्रकरण में सिंचाई विभाग ने अदालत एवं शासन को किया गुमराह

  • [By: Meerut Desk || 2024-07-27 16:33 IST
दलित कर्मचारी के बहाली प्रकरण में सिंचाई विभाग ने अदालत एवं शासन को किया गुमराह

मेरठ। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर में दलित समाज से जुड़े लोगों की सुनवाई का निर्देश दिया है वहीँ सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर इसका तनिक भी असर नहीं पड़ा। पिछले 25 सालों से न्याय के लिए भटक रहे विभाग के मस्टररोल कर्मी बिजेंद्र कुमार की आज भी विभाग में कोई सुनवाई नहीं हो रही। अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंता दलित कर्मचारी की पीड़ा सुनने को तैयार ही नहीं है। 

बिजेंद्र कुमार निवासी ट्रांसपोर्ट नगर, सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ में 1 जुलाई 1998 से 31 मई 1999 तक मस्टररोल पर कार्य किया। लेकिन विभाग ने उन्हें दलित होने के चलते स्थाई करने के स्थान पर सेवा से बाहर कर दिया। पीड़ित ने सिंचाई विभाग निर्माण खंड के सालों तक चक्कर काटे लेकिन विभाग के अघिकारियों ने न तो पीड़ित की बात सुनी और न ही कुछ किया। सालों से आख्या-आख्या का खेल चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दिनों अधिकारियों के भ्रष्टाचार, लापरवाही, ऑफिस में नहीं बैठना, घूसखोरी में लिप्त मामलों में लगातार कार्यवाही कर रहे है। अधिकारी परेशान जनता को कोई बात सुनने को तैयार नहीं है। सिचाई विभाग मेरठ में अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंता कुछ सुनने और कुछ करने को तैयार नहीं है। भ्रष्टाचार चरम पर है। 

240 दिनों के कार्यदिवस का शासनादेश: दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश के अनुसार प्रदेश के किसी भी विभाग में स्थाई होने के लिए नियमानुसार कम से कम 240 दिवस तक कार्य करना अनिवार्य होता है। 240 दिन की अवधि की सेवा के उपरांत ही कर्मचारी को स्थाई/नियमित किया जा सकता है।

कार्यदिवस के संबंध में विभाग ने 3 अलग अलग पत्र जारी किये: न्याय के लिए दर दर भटक रहे पीड़ित बिजेंद्र कुमार की सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ में किये गए कार्यदिवस के संबंध में एक दूसरे से विरोषाभासी पत्र जारी करता है। बिजेंद्र कुमार द्वारा 1 जुलाई 1998 से 31 मई 1999 तक विभाग में सेवाएं देने के बाद सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ 3 पत्र अलग-अलग तारीखों में जारी करता है: (1) बिजेंद्र कुमार द्वारा 1 अगस्त 1998 से 1 दिसंबर 1998 तक कुल 130 दिन कार्य किया गया। यह पत्र 26 मई 2001 को जारी किया गया। (2) इसके बाद कर्मचारी बिजेंद्र कुमार द्वारा 104 कार्य दिवस का पत्र 24 अगस्त 2007 को जारी किया गया। (3) और अंत में कर्मचारी बिजेंद्र कुमार द्वारा 300 कार्य दिवस का पत्र 2020 में जारी किया गया। यानी सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ ने 2 बार ग़लत जानकारी वाले पत्र जारी करने के बाद स्वीकार किया कि कर्मचारी बिजेंद्र कुमार द्वारा सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ में 1 जुलाई 1998 से 31 मई 1999 तक अर्थात 300 दिनों तक कार्य किया गया। 

सुनियोजित षड्यंत्र रचकर पीड़ित के कार्यदिवस के संबंध में विभाग ने हाई कोर्ट और शासन को भ्रमित और ग़लत जानकारी उपलब्ध कराई: दरअसल सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ सुनियोजित षड्यंत्र रचकर विभाग ने हाई कोर्ट इलाहबाद और उत्तर प्रदेश शासन को ग़लत जानकारी वाले दस्तावेज़ भेजे। दलित समुदाय से आने वाले पीड़ित को किसी भी तरह का लाभ न मिल सके इसके लिए सिंचाई विभाग द्वारा पीड़ित बिजेंद्र कुमार के संबंध में 130 और 104 कार्यदिवस के पत्र जारी किये। और पीड़ित द्वारा श्रम कार्यालय मेरठ में दायर वाद में पीड़ित बिजेंद्र कुमार के पक्ष में निर्णय सुनाया तो इसके विरोध में सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ ने हाई कोर्ट इलाहाबाद में वाद दायर कर दिया। वाद दायर करते समय सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ ने बिजेंद्र कुमार के कार्यदिवस के बारे में ग़लत दस्तावेज़ प्रस्तुत किये। विभाग ने 130 कार्यदिवस का जारी पत्र अदालत में जमा किया। और फिर वही हुआ जो सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ चाहता था। शासनादेश के 240 कार्यदिवस के अनुसार बिजेंद्र कुमार के केवल 130 कार्यदिवस बताये गए जिसके चलते हाई कोर्ट इलाहाबाद ने सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ के पक्ष में फैसला सुनाया। यह सब गलत जानकारी अदालत में प्रस्तुत करने पर हुआ। यद्यपि अदालत ने पीड़ित को एकमुश्त 2 लाख 50 हजार रूपये देने का भी निर्देश दिया। उसके बाद सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ ने अदालत की प्रति और पीड़ित बिजेंद्र कुमार के 130 कार्यदिवस के बाबत शासन को रिपोर्ट भेज दी। यानी विभाग द्वारा अदालत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश शासन को भी गलत जानकारी दी गई। 

यह भी पढ़े: सिंचाई विभाग के अफ़सरों की उदासीनता के चलते पीड़ित 25 सालों से न्याय को भटक रहा दलित कर्मचारी

राज्यपाल ने रिपोर्ट मांगी तो विभाग ने सच उगला: उसके बाद 2020 में उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल द्वारा उक्त प्रकरण में रिपोर्ट मांगने पर सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ ने बिजेंद्र कुमार के 300 कार्यदिवस की सच्चाई को स्वीकारते हुए रिपोर्ट राज्यपाल को भेज दी। बात बिलकुल साफ़ है। सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ ने खुद स्वीकार किया कि बिजेंद्र कुमार ने 300 दिन कार्य किया हैं। अगर विभाग अदालत में पीड़ित के 300 कार्यदिवस की सही जानकारी उपलब्ध कराता तो पीड़ित को न्याय मिल जाता। लेकिन सिंचाई विभाग निर्माण खंड मेरठ ने जानबूझ कर एक सोची समझी साज़िश के तहत 130 कार्यदिवस वाला पत्र अदालत में जमा किया। 

इस प्रकार स्पष्ट होता है की सिंचाई विभाग द्वारा कर्मी बिजेंद्र कुमार द्वारा की गई सेवा दिवस को अलग-अलग तारीख़ों में अलग-अलग दिनों को दर्शाने वाले पत्र जारी किये गए। क्या यह सब सोची समझी साजिश के तहत किया गया, यह उच्च स्तरीय जांच का विषय है। 

 

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