पश्चिमी यूपी में खराब प्रदर्शन के चलते खतरे में इन मंत्रियों की कुर्सी

  • [By: PK Verma || 2024-06-08 16:58 IST
पश्चिमी यूपी में खराब प्रदर्शन के चलते खतरे में इन मंत्रियों की कुर्सी

मेरठ। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पश्चिमी यूपी के कई मंत्रियों की कुर्सी खतरे में आ गई है। इनमे मेरठ साउथ के विधायक और ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर, हस्तिनापुर के विधायक और जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक, देवबंद से विधायक और पीडब्लूडी राजयमंत्री ब्रजेश सिंह, मुजफ्फरनगर शहर से विधायक कपिल देव अग्रवाल व्यवसायिक शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं। इनके अलावा और कई भी जिनपर चुनाव में ख़राब प्रदर्शन के लिए ग़ाज गिर सकती है। 

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दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 के ख़राब नतीजे आने के बाद भारतीय जनता पार्टी एक-एक सीट की समीक्षा है। प्रदेश की योगी सरकार के केवल दो मंत्री ही चुनाव जीते हैं। इनके सांसद बनने के बाद अब प्रदेश में जल्द ही मंत्रीमंडल का विस्तार भी होगा। जिन जिलों में पार्टी की हालत खस्ता हुई है, वहां के मंत्रियों का प्रदर्शन भी देखा जाएगा और तय किया जाएगा कि किसकी कुर्सी रहेगी और किसकी कुर्सी जाएगी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिन जिलों में हार हुई है, वहां मंत्री कौन था? और उनके क्षेत्र में पार्टी को फायदा हुआ या नुकसान? योगी सरकार के कई मंत्री अपनी विधानसभा तक हार गए। जबकि कुछ ऐसे भी थे, जो मामूली अंतर से ही भाजपा को बढ़त दिला सके, जबकि उनकी अपनी जीत बड़ी थी। इन सभी बिंदुओं पर समीक्षा और चर्चा के बाद पश्चिम के मंत्रियों की कुर्सियों पर फैंसला होगा। इनकी कुर्सी बचेगी या जाएगी। 

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मेरठ जिले से योगी सरकार के दो राज्यमंत्री मंत्री हैं। दिनेश खटीक और सोमेंद्र तोमर। मेरठ में भाजपा की जीत जरूर हुई है, लेकिन मार्जिन बहुत ही कम है। बहुत मुश्किल से अरुण गोविल को संसद भेजा जा सका। मेरठ कैंट क्षेत्र की बदौलत ही भाजपा सीट निकाल सकी। मेरठ कैंट से भाजपा को लगभग एक लाख वोटों की बढ़त मिली। ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर मेरठ दक्षिण से विधायक हैं। यहां भाजपा को समाजवादी पार्टी के मुकाबले 20,473 वोट कम मिले। यानी मेरठ दक्षिण में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। अन्य शब्दों में कहा जाये तो भले ही अरुण गोविल मेरठ लोकसभा से सांसद बन गए हों लेकिन शहर विधानसभा से वह नहीं जीत सके। भाजपा के धुरंधर भी उन्हें मेरठ शहर और मेरठ दक्षिण से नहीं जिता पाए। केवल मेरठ कैंट विधानसभा ही थी जिसने अरुण गोविल को संसद पहुँचाने का काम किया। यह स्थिति तब है, जब मेरठ से भाजपा महापौर हरिकांत अहलूवालिया और प्रदेश सरकार में ऊर्जा राजयमंत्री सोमेंद्र तोमर भी हैं। 

मेरठ से ही दूसरे मंत्री दिनेश खटीक हस्तिनापुर से विधायक हैं। उनकी विधानसभा बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में आती है। यहां से रालोद प्रत्याशी चंदन चौहान चुनाव लड़ रहे थे। हस्तिनापुर में रालोद प्रत्याशी को 27,047 वोटों की बढ़त मिली। यह बढ़त चंदन चौहान की जीत के लिए अहम साबित हुई।

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सहारनपुर से भी योगी सरकार में दो मंत्री हैं। इसमें जसवंत सैनी और ब्रजेश सिंह हैं। जसवंत सिंह संसदीय मामलों के मंत्री और औद्योगिक विकास विभाग के राज्यमंत्री हैं। वहीँ ब्रजेश सिंह लोक निर्माण विभाग के राज्यमंत्री हैं। इनके जिले में भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। यहां से कांग्रेस ने 1984 के बाद बड़ी जीत हासिल की है। कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद ने भाजपा के राघवलखन पाल को हराया। ब्रजेश सिंह देवबंद से विधायक हैं। यहां भाजपा को 2019 के मुकाबले 8,000 कम वोट मिले। हालांकि यहां से भाजपा ने करीब 21,000  की बढ़त हासिल की। जिले के दो-दो मंत्री होने का लाभ पार्टी को जिले की अन्य विधानसभा में नहीं मिला और पार्टी लगातार दूसरी बार सहारनपुर में चुनाव हार गई। अब सहारनपुर सीट की समीक्षा करने के बाद देखा जायेगा कि सहारनपुर के इन दोनों मंत्रियों की कुर्सी बचती है या नहीं। 

मुजफ्फरनगर की सीट भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट थी। लेकिन दो बार के सांसद संजीव बालियान इस बार अपनी सीट नहीं बचा सके। मुजफ्फरनगर शहर से कपिल देव अग्रवाल विधायक है। वह व्यवसायिक शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं। यहां पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। अपनी विधानसभा के साथ साथ दूसरी विधानसभाओं में भी मंत्री कपिल देव अग्रवाल का कोई प्रभाव नजर नहीं आया। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार में कपिल देव अग्रवाल की कुर्सी भी जा सकती है। 

योगी सरकार में रामपुर से भी एक मंत्री हैं बलदेव सिंह औलख। वह कृषि राज्यमंत्री है। जिले में भाजपा बुरी तरह से हारी। लेकिन बलदेव सिंह औलख की विधानसभा बिलासपुर में पार्टी 19867 वोटों से पार्टी जीती। बलदेव सिंह औलख जिले में अपनी पार्टी को जीत दिलाने में नाकाम रहे। 2022 के चुनाव के बाद यहां हुए उप चुनाव में यह सीट भाजपा के पास चली गई थी। अब सपा ने इस सीट पर दोबारा से कब्जा कर लिया। माना जा रहा है कि बलदेव सिंह औलख सिख समुदाय के इकलौते विधायक व मंत्री हैं, इसलिए इनकी कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। 

सुनील शर्मा गाजियाबाद के साहिबाबाद से विधायक हैं। वह भी योगी सरकार में मंत्री है। उनके विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को एक लाख 91 हजार की बढ़त मिली। जानकारों का कहना है कि सुनील शर्मा की कुर्सी पर कोई खतरा फिलहाल नहीं है।

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