CCSU के MBBS कॉपी घोटाले में आरोपियों की जानकारी नहीं देने पर शासन सख़्त, हो सकती है कड़ी कार्यवाही

  • [By: PK Verma || 2024-09-26 14:38 IST
CCSU के MBBS कॉपी घोटाले में आरोपियों की जानकारी नहीं देने पर शासन सख़्त, हो सकती है कड़ी कार्यवाही

मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन एमबीबीएस सेकंड प्रोफेशनल मैन और सप्लीमेंट्री एग्जाम्स 2018 की उत्तर पुस्तिका बदलने के मामले में शासन को आरोपियों का कोई विवरण नहीं दे रहा है।  इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन खामोशी की चादर लपेटकर सो गया हैं। शासन के विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी ने एक बार फिर चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी प्रशासन से मामले में आरोपी अधिकारियों का पूरा विवरण मांगा है। जिसे उपलब्ध कराने में विश्वविद्यालय प्रशासन आनाकानी कर रहा है। ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित एसआईटी की 30 जून 2022 को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में विश्वविद्यालय के 3 अधिकारियों का दायित्व में लापरवाही बरतने और अनियमितता में साथ देने का दोषी पाया गया है। जाँच रिपोर्ट में दोषी पाये गए आरोपियों में एक नारायण प्रसाद सेवानिवृत हो चुका है। दूसरा आरोपी बीपी कौशल एक अन्य विश्वविद्यालय में तैनात है। जबकि तीसरा आरोपी संजीव कुमार अभी भी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में कार्यरत है। 

विश्वविद्यालय ने 6 माह बाद भी नहीं दी जानकारी: शासन के अनुसार छह माह बाद भी विश्वविद्यालय ने आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया हैं। एसटीएफ ने पूरे मामले में तत्कालीन प्रभारी स्टोर को दोषी माना था। एसटीएफ की रिपोर्ट पर शासन जल्द ही अन्य कर्मचारी एवं तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। आपको ज्ञात होगा कि एसटीएफ मेरठ ने 17 मार्च 2018 में छात्र कविराज को गिरफ्तार करते हुए एमबीबीएस कॉपियों को परीक्षा होने के बाद परिसर में बदलने का दावा किया था। एसटीएफ ने कैंपस के उत्तर पुस्तिका विभाग से कॉपियों को जब्त करते हुए फोरेंसिक जांच के लिए भेजा। इस प्रकरण में मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के छात्र भी गिरफ्तार हुए थे। तत्कालीन कुलपति प्रो.एनके तनेजा ने इस मामले की तहकीकात विशेष जांच एजेंसी से कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद में शासन ने उच्च स्तरीय जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी थी।

एसटीएफ की कार्यवाही: ग़ौरतलब है कि शासन की ओर से सबसे पहले 27 मार्च 2024 को पत्र लिखकर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में काम करने वाले आरोपी अधिकारियों का पूरा विवरण मांगा था। दरअसल स्पेशल टास्क फ़ोर्स यानी एसटीएफ मेरठ ने 17 मार्च 2018 को कविराज नामक छात्र और विश्वविद्यालय के तीन कर्मचारियों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। स्पेशल टास्क फोर्स ने अपनी जांच में यह राजफाश किया था कि कविराज नामक छात्र विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से एमबीबीएस परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं बदलवाता था। उत्तर पुस्तिका का ऊपरी पन्ना छोड़कर अंदर के लिखे हुए पन्ने बदल दिए जाते थे। इस काम के लिए आरोपी लाखों रूपये वसूलते थे। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एमबीबीएस कॉपी मूल्यांकन घोटाले में पूर्व परीक्षा नियंत्रक, पूर्व उप कुलसचिव और सहायक कुलसचिव पर गाज गिर सकती है। इसको लेकर विश्वविद्यालय के अधिकारियों-कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। 

क्या था मामला: दरअसल, 17 मार्च 2018 को एसटीएफ ने छात्र कविराज और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के तीन कर्मचारियों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ ने खुलासा किया था कि कैंपस का छात्र नेता कविराज विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की मदद से एमबीबीएस की कॉपियां बदलवा देता था। एमबीबीएस के अलावा स्नातक और परास्नातक की कॉपी भी बदलने की बात सामने आई थी। खुलासा हुआ था कि कविराज विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की मदद से उत्तर पुस्तिका सेक्शन में कॉपी बदलवा देता था। साजिश के अनुसार परीक्षा में लिखी गई कॉपी की जगह वह बाहर से लिखी गई कॉपी बंडल में रख देते थे। इस मामले में कॉपी बदलवाने वाले दो एमबीबीएस के छात्रों को भी जेल भेजा गया था। इस मामले की रिपोर्ट मेडिकल थाने में दर्ज होने के बाद शासन के निर्देश पर जांच लखनऊ एसआईटी दी गई थी। इस घोटाले की जांच सीओ के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम जांच कर रही थी। इस क्रम में कई बार विश्वविद्यालय में अधिकारियों-कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए। कॉपी के बंडलों से 30 कॉपियां भी टीम ले गई थी। अपनी जांच के दौरान एसआईटी ने 2015 से 2018 तक उत्तर पुस्तिका सेक्शन विभाग में तैनात रहे 31 कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। 6 साल चली जांच के बाद एसआईटी ने अब जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

निजी कॉलेज की निकली थी कॉपी: एसटीएफ ने MBBS की जिन कॉपियों को विश्वविद्यालय परिसर से आरोपी कविराज से जब्त किया था वे निजी कॉलेज को आवंटित हुई थी। हालांकि, कॉलेज से जो शिक्षक विश्वविद्यालय में परीक्षा के लिए कॉपी लेने आया था, उसे घटना से पहले ही नौकरी से हटाने का दावा किया गया। करीब दो साल तक एसआईटी ने विश्वविद्यालय परिसर, कॉलेज और आरोपियों से पूछताछ करते हुए पर्याप्त सुबूत जुटाए।

उत्तर प्रदेश शासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से तीनों आरोपी अधिकारियों जिनमें पूर्व परीक्षा नियंत्रक नारायण प्रसाद, पूर्व उप-कुलसचिव बीपी कौशल और सहायक कुलसचिव संजीव कुमार के आवासीय अस्थाई और स्थाई पते समेत अन्य जानकारी मांगी है। ग़ौरतलब है कि इन तीन अधिकारियों में से नारायण प्रसाद रिटायर हो चुका है। बीपी कौशल का तबादला हो चुका है। और संजीव कुमार आज भी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव पद पर कार्यरत है।

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