शर्तों के साथ अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत
- [By: National Desk || 2024-09-13 13:48 IST
नई दिल्ली। आज सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सशर्त ज़मानत दे दी। ग़ौरतलब हैं कि सीबीआई ने आबकारी नीति घोटाले मामले में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष को 26 जून 2024 को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दो याचिकाओं पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आबकारी नीति भ्रष्टाचार मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को नियमित जमानत देने का फैसला सुनाया। इस संबंध में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने उनके फैसले पर सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने अरविन्द केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी। इसके साथ ही सीबीआई की गिरफ्तारी से जुड़ी याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अपीलकर्ता की गिरफ्तारी अवैध नहीं थी।
ग़ौरतलब है कि ईडी मामले में अरविन्द केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 12 जुलाई 2024 को जमानत मिली थी। ऐसे में अब उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने 103 दिन पहले यानी 2 जून को अंतरिम जमानत की समय सीमा पूरी होने के बाद सरेंडर किया था। माना जा रहा है कि केजरीवाल आज ही जेल से बाहर आ सकते हैं।
— Asian Express (@asianexpressliv) September 13, 2024
दरअसल, केजरीवाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में अरविन्द केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार किया था।
जमानत पर फैसला: न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि तर्कों के आधार पर हमने 3 प्रश्न तैयार किए हैं। क्या गिरफ्तारी अवैधता थी? क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत दी जानी चाहिए? क्या आरोप पत्र दाखिल करना परिस्थितियों में इतना बदलाव है कि उसे ट्रायल कोर्ट में भेजा जा सके? उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को गिरफ्तार करना कोई गलत बात नहीं है। हमने पाया है कि सीबीआई ने अपने आवेदन में उन कारणों को बताया है कि उन्हें क्यों ये जरूरी लगा। धारा 41ए (iii) का कोई उल्लंघन नहीं है। हमें इस तर्क में कोई दम नहीं लगता कि सीबीआई ने धारा 41ए सीआरपीसी का अनुपालन नहीं किया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आगे कहा कि अरविन्द केजरीवाल की जमानत पर हमने विचार किया है। मुद्दा स्वतंत्रता का है। लंबे समय तक कारावास आजादी से अन्याय के बराबर है। फिलहाल हमे लगता है कि केस का नतीजा जल्द निकलने की संभावना नहीं है। सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ को लेकर अभियोजन पक्ष की आशंकाओं पर विचार किया गया। उन्हें खारिज करते हुए हमने निष्कर्ष निकाला है कि अपीलकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए।
शर्तों के साथ ज़मानत: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता मामले के बारे में सार्वजनिक रूप से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेगा। ईडी मामले में लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। वह ट्रायल कोर्ट के साथ पूरा सहयोग करेगा।
सीबीआई की गिरफ्तारी पर सवाल: केजरीवाल को जमानत देने का फैसला सुनाते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर मेरा एक निश्चित दृष्टिकोण है। इसलिए मैं इस दृष्टिकोण से सहमत हूं कि अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि ईडी मामले में अपीलकर्ता को नियमित जमानत दिए जाने के बाद ही सीबीआई सक्रिय हुई और हिरासत की मांग की। ईडी मामले में रिहाई के समय केजरीवाल को गिरफ्तार करने की सीबीआई की जल्दबाजी समझ से परे है, जबकि 22 महीने तक उसने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया। इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी पर गंभीर प्रश्न उठाती है। न्यायमूर्ति भुइयां ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार किए जाने के समय पर सवाल उठाया और कहा कि एजेंसी का उद्देश्य ईडी मामले में उन्हें जमानत दिए जाने में बाधा डालना था। उन्होंने कहा कि सहयोग न करने का मतलब आत्म-दोषारोपण नहीं हो सकता। सीबीआई को ऐसी धारणा दूर करनी चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता है,उसे दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे में बंद तोता नहीं है। न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि केजरीवाल के गोलमोल जवाबों का हवाला देकर सीबीआई गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती और हिरासत में रखे नहीं रह सकती। जब केजरीवाल को ईडी मामले में जमानत मिल गई है तो उन्हें हिरासत में रखना न्याय की दृष्टि से ठीक नहीं होगा। जहां तक गिरफ्तारी के आधारों का सवाल है तो ये गिरफ्तारी की आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं। सीबीआई गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती है और टालमटोल वाले जवाबों का हवाला देते हुए हिरासत जारी रख सकती है। आरोपी को दोषपूर्ण बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इन आधारों पर अपीलकर्ता को हिरासत में रखना न्याय का उपहास है, खासकर तब जब उसे अधिक कठोर पीएमएलए में जमानत दी गई है।
खैर संभावना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री शुक्रवार यानी आज ही जेल से बाहर आ सकते है।
RELATED TOPICS
- लोकसभा में स्वीकार हुआ एक देश एक चुनाव बिल
- सांसद के रूप में प्रियंका गांधी ने संसद में ली हिंदी में शपथ
- लाइव: पीएम नरेंद्र मोदी बीजेपी सदस्यता अभियान में शामिल हुए।
- 10 साल बाद भी मंगलसूत्र पर वोट मांगना पड़े तो शर्म की बात है: भगवंत मान
- अमीरों का साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्ज़ माफ़ किया पीएम मोदी ने: संजय सिंह
- चार सौ पार का नारा बड़बोलापन, अब तो मोदी ने भी कहना बंद कर दिया: सुब्रमण्यम स्वामी
- दिल्ली यूनिवर्सिटी ने नौकरी से निकाला तो पूर्व प्रोफेसर बेचने लगी पकौड़े, मुक़दमा दर्ज़
- सड़क पर नमाज़ पढ़ते नमाजियों पर पुलिस अधिकारी ने मारी लात, सस्पेंड
- त्याग, कुर्बानी और राष्ट्रसेवा इनसे सीखने की जरूरत है
- जब-जब इस देश में आंदोलन हुए है तब-तब सत्ताएं पलटी है
- भाजपा को मिले करोड़ों के चंदे पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस
- प्रमुख न्यूज चैनलों टाइम्स नाउ नवभारत, न्यूज 18 इंडिया और आजतक पर NBDSA की बड़ी कार्यवाही
- सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द किया
- पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ होंगे भाजपा में शामिल
- हम किसान मजदूर की आवाज़ उठाने वाले लोग है: सरवन सिंह
- भाजपा से गठबंधन पर जयंत चौधरी ने दिया संकेत
- लाल कृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न, पीएम मोदी और सीएम योगी ने दी बधाई
- राजस्थान से सोनिया गाँधी को राज्यसभा भेजने की चर्चा
- अरविन्द केजरीवाल को ईडी का 5वां समन, शराब घोटाले में होगी पूछताछ
- झारखंड सीएम के दिल्ली आवास से ED ने 36 लाख नगद और दस्तावेज़ बरामद किए, BMW सीज