वो क्यूं गया है, ये बताकर नही गया (ग़ज़ल)

  • [By: Meerut Desk || 2024-03-31 10:26 IST
वो क्यूं गया है, ये बताकर नही गया (ग़ज़ल)

रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया 

वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया 

वो यूँ गया कि बाद-ए-सबा याद आ गई 
एहसास तक भी हम को दिला कर नहीं गया 

यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आएगा 
जाते हुए चराग़ बुझा कर नहीं गया 

बस इक लकीर खींच गया दरमियान में 
दीवार रास्ते में बना कर नहीं गया 

शायद वो मिल ही जाए मगर जुस्तुजू है शर्त 
वो अपने नक़्श-ए-पा तो मिटा कर नहीं गया 

घर में है आज तक वही ख़ुश्बू बसी हुई 
लगता है यूँ कि जैसे वो आ कर नहीं गया 

तब तक तो फूल जैसी ही ताज़ा थी उस की याद 
जब तक वो पत्तियों को जुदा कर नहीं गया 

रहने दिया न उस ने किसी काम का मुझे 
और ख़ाक में भी मुझ को मिला कर नहीं गया 

वैसी ही बे-तलब है अभी मेरी ज़िंदगी 
वो ख़ार-ओ-ख़स में आग लगा कर नहीं गया 

'शहज़ाद' ये गिला ही रहा उस की ज़ात से 
जाते हुए वो कोई गिला कर नहीं गया 

-शहज़ाद अहमद

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