ये कैसा इश्क़ है उर्दू ज़बां का: गुलज़ार
- [By: LIPIKA VERMA || 2024-12-10 14:26 IST
ये कैसा इश्क़ है उर्दू ज़बाँ का
मज़ा घुलता है लफ़्ज़ों का ज़बाँ पर
कि जैसे पान में महँगा क़िमाम घुलता है
ये कैसा इश्क़ है उर्दू ज़बाँ का
नशा आता है उर्दू बोलने में
गिलौरी की तरह हैं मुँह लगी सब इस्तेलाहें
लुत्फ़ देती है, हलक़ छूती है उर्दू तो,
हलक़ से जैसे मय का घोंट उतरता है
बड़ी अरिस्टोकरेसी है ज़बाँ में
फ़क़ीरी में नवाबी का मज़ा देती है उर्दू
अगरचे मअनी कम होते हैं उर्दू में
अल्फ़ाज़ की इफ़रात होती है
मगर फिर भी, बुलंद आवाज़ पढ़िए तो
बहुत ही मोतबर लगती हैं बातें
कहीं कुछ दूर से कानों में पड़ती है अगर उर्दू
तो लगता है कि दिन जाड़ों के हैं खिड़की खुली है,
धूप अंदर आ रही है
अजब है ये ज़बाँ, उर्दू
कभी कहीं सफ़र करते अगर कोई मुसाफ़िर शेर पढ़ दे 'मीर', 'ग़ालिब' का
वो चाहे अजनबी हो, यही लगता है वो मेरे वतन का है
बड़ी शाइस्ता लहजे में किसी से उर्दू सुन कर
क्या नहीं लगता कि एक तहज़ीब की आवाज़ है उर्दू।
-गुलज़ार
RELATED TOPICS
- हर इक जिस्म घायल हर इक रूह प्यासी: साहिर
- कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे: नीरज
- मुझे अब डर नहीं लगता (नज़्म)
- वो पुराना कोट (काव्य): डॉ पीके वर्मा
- मुझको इतने से काम पे रख लो: गुलज़ार
- मंज़िलें लाख कठिन आएँ गुज़र जाऊँगा
- मैं पयंबर तो नहीं, हूं तो पयंबर जैसा
- तुम झूठ को सच लिख दो अख़बार तुम्हारा है
- तो जिंदा हो तुम: डॉ पीके वर्मा
- वो पुराना कोट: डॉ पीके वर्मा
- ये तुम्हारे होंठ हैं या ग़ुलाब की पंखुड़ी दो: डॉ पी के वर्मा
- हमेशा देर कर देता हूँ मैं (नज़म)
- कर लूंगा जमा दौलत ओ जऱ ...उसके बाद क्या
- सिंहासन खाली करो कि जनता आती है: रामधारी सिंह दिनकर
- हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं: -जिगर मुरादाबादी
- वो क्यूं गया है, ये बताकर नही गया (ग़ज़ल)
- जब तक सांस आखिरी बाकी है मैं चलता रहूंगा: डॉ पीके वर्मा
- तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ (कविता)
- कैफियत हर एक इंसान की नजर आती है मुझे (कविता)
- दिल का दरवाजा तो खोल, मुझे भीतर तो आने दे (कविता)
- अचानक एक चमक की तरह तुम मेरे सामने चमक जाती हो (कविता)
- Princess of Beauty: While the time of my college, her house... (Poem)
- चाँद को धरा पर लाना हैं तुम्हें (कविता)
- Passionate Lips (Poem)
- Send Me A Kiss :Poem by Dr. P.K. Verma
- A Fairy On The Earth : Poem by Dr. P.K. Verma
- Pen, you are not merely a tool (Poem)
- 1982 में आयरन लेडी इंदिरा गांधी से मेरी पहली और आखिरी मुलाकात: डॉ पी के वर्मा
- ऐ जिंदगी, तुझे पाने की कशमकश में (कविता)
- टूटे पत्ते (कविता)